Edited By Yaspal,Updated: 22 Oct, 2021 06:28 PM
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख के बाद अब पूर्वोत्तर में भी एलएसी पर चीन की आक्रामकता का करारा जवाब देने की तैयारी कर ली है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी खतरे से निपटने के लिए चीन...
नेशनल डेस्कः भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख के बाद अब पूर्वोत्तर में भी एलएसी पर चीन की आक्रामकता का करारा जवाब देने की तैयारी कर ली है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी खतरे से निपटने के लिए चीन की सीमा के पास फॉरवर्ड पोजिशन पर पिनाका और स्मर्च मल्टीपल राकेट लांचर सिस्टम को तैनात किया है। हाल ही में सेना ने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर अपनी तैनाती बढ़ाई थी।
ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर तनाव के बीच भारत ने एलएसी पर अपनी पूरी तैयारी रखी है। भारत की डिफेंसिव यानी आत्मरक्षा की ही नहीं बल्कि ऑफेंसिव यानी आक्रामक तैयारी भी पूरी है। ईस्टर्न सेक्टर में भारतीय सेना ने मल्टीबैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम स्मर्च और मल्टी रॉकेट लॉन्च सिस्टम पिनाका को तैनात किया है।
एक खुले एरिया यानी डेप्थ एरिया (एलएसी से दूर अंदर की तरफ) में सेना की एक जीप तेजी से आती है। इसमें बैठे सैनिक आकर मल्टीबैरल रॉकेट लॉन्चर के लिए पोजिशन तय कर रहे हैं। लोकेशन तय कर वहां पर तुरंत लाल झंडा गाड़ दिया गया ताकि ऑफेंसिव ऑपरेशन में जरा भी देरी न हो। तुरंत पिनाका और स्मर्च की एक-एक फायरिंग यूनिट यहां पर पहुंची और पोजिशन ले ली। अब यह फायर करने के लिए तैयार है।
38 किलोमीटर तक के इलाके में मारक
पिनाका हथियार प्रणाली एक राकेट आर्टिलरी सिस्टम है जो 38 किलोमीटर तक के इलाके में दुश्मन को निशाना बना सकती है। ऊंचाई वाले सीमाई क्षेत्र में इसकी तैनाती का मकसद सेना की क्षमताओं को मजबूत करना है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक पिनाका के छह लांचरों की एक बैटरी 44 सेकंड में 72 राकेटों का सैल्वो फायर कर सकती है। ये 1000 x 800 मीटर के दायरे में दुश्मन के टैंकों और दूसरे हथियारों को बर्बाद कर सकता है।
ऊंचाई पर अधिक कारगर
इस हथियार प्रणाली की तैनाती पर बैटरी कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल सरथ ने एएनआई को बताया कि पिनाका हथियार प्रणाली रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन किया गया स्वदेशी मल्टी राकेट लॉन्चर सिस्टम है। यह अत्याधुनिक और पूरी तरह से स्वायत्त हथियार प्रणाली है। यह समुद्र तल से 38 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। ऊंचाई पर इसकी मारक क्षमता और कारगर हो जाती है। इसकी तैनाती से सेना की स्ट्राइक क्षमता में काफी बढ़ोतरी हुई है।