नागरिकता विधेयक: अमेरिकी आयोग की टिप्पणी पर भारत का करारा जवाब,अपने काम से काम रखें

Edited By shukdev,Updated: 10 Dec, 2019 06:26 PM

india s affirmative response to us commission comment

भारत ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की टिप्पणी को मंगलवार को यह कहकर खारिज कर दिया कि उसे इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है और उसकी टिप्पणी पूर्वाग्रह प्रेरित है। विदेश...

नई दिल्ली: भारत ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की टिप्पणी को मंगलवार को यह कहकर खारिज कर दिया कि उसे इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है और उसकी टिप्पणी पूर्वाग्रह प्रेरित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस बारे में सवालों के जवाब में कहा,‘यूएससीआईआरएफ द्वारा की गई टिप्पणी से हमें कोई हैरानी नहीं हुई है क्योंकि उसका पिछला रिकॉर्ड भी ऐसा ही रहा है। यह हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संस्था ने केवल पूर्वाग्रहों एवं पक्षपातपूर्ण ढंग से उस विषय पर टिप्पणी की है जिसकी उसे कोई जानकारी नहीं है तथा उस पर उसे बोलने का अधिकार भी नहीं है।'

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यूएससीआईआरएफ अमेरिका की संघीय सरकार का आयोग है जो 1998 के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कानून के द्वारा गठित किया गया था। कुमार ने कहा कि अमेरिका सहित हर देश को नागरिकता की वैधता को निश्चित करने तथा इस संबंध में विभिन्न नीतियों के माध्यम से क्रियान्वित करने का अधिकार है। भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक पर यूएससीआईआरएफ की टिप्पणी न तो सटीक है और न ही वांछित है। यह विधेयक भारत में पहले से ही रह रहे कुछ देशों से प्रताड़ता के कारण भागे धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में उनकी वर्तमान कठिनाइयों के समाधान और उनके मूल मानवाधिकारों के संरक्षण की व्यवस्था की गई है। धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध लोगों द्वारा ऐसी किसी भी पहल का स्वागत होना चाहिए ,न कि आलोचना। 

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प्रवक्ता ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी समुदाय को वर्तमान में उपलब्ध नागरिकता हासिल करने अवसरों का लाभ उठाने से रोकता नहीं है। नागरिकता प्रदान करने के हाल के रिकॉर्ड से भारत सरकार की वस्तुपरकता को रेखांकित करता है। न तो नागरिकता संशोधन विधेयक और न ही राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर किसी भी धर्म को मानने वाले किसी भी व्यक्ति की नागरिकता को खत्म नहीं करेगा। ऐसे कोई भी तर्क स्वार्थप्रेरित एवं गैर न्यायोचित हैं। यूएससीआईआरएफ ने अपने बयान में कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक से भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलतावादी समृद्ध इतिहास और संविधान के विपरीत है जो कानूनन आस्था के आधार पर समानता की गारंटी देता है।
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