पूर्वी लद्दाख विवाद का जिक्र करते हुए एम नरवणे बोले, अतीत से मिली चुनौतियां खत्म नहीं हुई

Edited By rajesh kumar,Updated: 11 Feb, 2021 06:15 PM

india s challenges from past have only increased chief of army staff

पूर्वी लद्दाख विवाद का जिक्र करते हुए थल सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तरी सीमांत पर स्थिति ने हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में भारत के समक्ष पेश आ रही चुनौतियों की प्रकृति को रेखांकित किया है।

नेशनल डेस्क: पूर्वी लद्दाख विवाद का जिक्र करते हुए थल सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तरी सीमांत पर स्थिति ने हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में भारत के समक्ष पेश आ रही चुनौतियों की प्रकृति को रेखांकित किया है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि अतीत से मिली चुनौतियों में सिर्फ वृद्धि ही हुई है। सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय थल सेना तैयारी करना और भविष्य के लिहाज से खुद को अनुकूल बनाना जारी रखेगी।

भारत की अशांत सीमाओं पर ये चुनौतियां कहीं अधिक करीबी, वास्तविक और खतरनाक हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने एक प्रमुख सैन्य विद्वान मंडल (थिंक टैंक) सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज द्वारा आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही। गौरतलब है कि पिछले नौ महीनों से हजारों की संख्या में भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं। वहां मौजूद गतिरोध ने दोनों देशों के संपूर्ण सबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा कि पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सेनाओं को पीछे हटाए जाने को लेकर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है।

जनरल नरवणे ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर चल रहे घटनाक्रमों को लेकर सशस्त्र बलों को देश की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा करने के साथ अनसुलझे सीमा विवाद और उसके परिणामस्वरूप पैदा हुई चुनौतियों की प्रकृति से अवगत रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘नि:संदेह नये खतरे भी हैं, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि अतीत से मिली चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। बल्कि, उनके आकार और तीव्रता में वृद्धि ही हुई है।'

उन्होंने चीन से लगी 3,500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का संभवत: जिक्र करते हुए कहा, ‘भारतीय थल सेना तैयारी करना और भविष्य के लिहाज से खुद को अनुकूल बनाना जारी रखेगी, वहीं हमारी अशांत सीमाओं पर कहीं अधिक करीबी, वास्तविक और वर्तमान खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारतीय थल सेना भविष्य में भी युद्ध जीतने के लिए क्रमिक रूप से अपनी ताकत को बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य के खतरों पर विचार करते हुए थल सेना ‘मल्टी डोमेन ऑपरेशंस' पर भी ध्यान दे रही है।

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