Edited By Seema Sharma,Updated: 29 Sep, 2022 12:29 PM
इतिहास में 29 सितंबर का दिन भारत द्वारा पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर उसके आतंकवादी शिविरों को नेस्तनाबूद करने के साहसिक कदम के गवाह के तौर पर दर्ज है।
नेशनल डेस्कः इतिहास में 29 सितंबर का दिन भारत द्वारा पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर उसके आतंकवादी शिविरों को नेस्तनाबूद करने के साहसिक कदम के गवाह के तौर पर दर्ज है। 29 सितंबर को भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर एयर स्ट्राइक की थी। भारत ने जहां इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देने का दावा किया, वहीं पाकिस्तान ने ऐसी किसी भी कार्रवाई से इनकार किया।
जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकवादी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। इसे भारतीय सेना पर सबसे बड़े हमलों में से एक माना गया। 18 सितंबर 2016 को हुए उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकवादियों का हाथ बताया गया। भारत ने इस हमले का बदला लेने के लिए 29 सितंबर को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।
किसी को नहीं लगी भनक
इस मिशन को काफी गुप्त रखा गया था। केंद्र सरकार के कई मंत्रियों तक को इसकी भनक नहीं थी। 30 सितंबर को जब टीवी पर सर्जिकल स्ट्राइक की खबरें आईं तो हर कोई हैरान रह गया था। किसी देश में घुसकर वहां इतने बडे मिशन को अंजाम देना आसान नहीं है लेकिन जब बात भारतीय सेना की आती है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
इनको थी मिशन की खबर
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री स्व मनोहर पर्रिकर, आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग, डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और नॉर्दन कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा की नजरें पल-पल के अपडेट पर थीं। इनके अलावा जिन जवानों को चुना गया था बस उन्हें ही इस मिशन की जानकारी थी।
जानिए पूरी घटना
जैश-ए-मोहम्मद के फिदायन दस्ते के चार आतंकियों ने 18 सितंबर 2016 को उरी स्थित भारतीय सेना की 12वीं ब्रिगेड के प्रशासनिक स्टेशन पर हमला कर दिया था। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जाबांज शहीद हो गए थे। मुंहतोड़ जवाब देते हुए सेना ने एनकाउंटर में आतंकी मार गिराए। उनके पास से मिले हथियारों और जीपीएस सेट से पता चला कि यह पाकिस्तान से संबंध रखते हैं। इसके बाद सेना ने शहीद जवानों की शहादत का बदला लेने की ठानी और पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह कर दिए।