Edited By Tanuja,Updated: 12 Feb, 2020 02:34 PM
सुझाव देते हुए कहा कि इससे सही धारणा बनेगी जिसे चुनौती देना मुश्किल होगा। गैर लाभकारी संगठन ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा ...
न्यूयार्कः सुझाव देते हुए कहा कि इससे सही धारणा बनेगी जिसे चुनौती देना मुश्किल होगा। गैर लाभकारी संगठन ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज' (FIIDS ) के निदेशक खांडेराव कांड की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ भारत भर में प्रदर्शन हो रहे हैं।
कांड ने मंगलवार को वाशिंगटन डीसी के उपनगर वर्जीनिया में संशोधित नागरिकता कानून और अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने पर एक चर्चा के दौरान कहा कि CAA का नाम बदलकर पड़ोसी देश द्वारा उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थी कानून रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए को शरणार्थी कानून के तौर पर पेश करने से सही धारणा बनेगी जिसे उसके विरोधियों के लिए चुनौती देना मुश्किल होगा।
यह नाम उचित होगा क्योंकि यह शरणार्थियों को नागरिकता देता है और किसी से भी नागरिकता नहीं छीनता। CAA में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के चलते 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्यों को नागरिकता देने का प्रावधान है।