भारतीय सेना का फैसला, महत्वपूर्ण उपकरणों का देश में करेगी विकास

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jul, 2017 03:35 PM

indian army

महत्वपूर्ण उपकरणों और कलपुर्जों के आयात में देरी के कारण युद्ध की स्थिति के लिए होने वाली तैयारी को प्रभावित होते देख, सेना ने फैसला लिया है

नई दिल्लीः सेना ने फैसला लिया है कि वह लड़ाकू टैंकों और अन्य सैन्य प्रणालियों के महत्वपूर्ण उपकरणों और कलपुर्जों को तेजी से स्वदेशी तरीके से विकसित करेगी। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश की 41 आयुध फैक्टरियों के संगठन 'दि ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड' ने कलपुर्जों और अन्य वस्तुओं के आयात को वर्तमान 60 प्रतिशत से घटाकर अगले तीन वर्षों में 30 फीसद करने का फैसला किया है। सीमावर्ती चौकियों पर तोपखाना और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार आयुध महानिदेशक ने टैंकों और अन्य आयुध प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण कलपुर्जे स्वदेशी तरीके से विकसित करने की रणनीति बनाने के लिए देश के रक्षा फर्मों से बातचीत शुरू कर दी है।  

'देरी से होती है आपूर्ति'
अधिकारी ने कहा, आयुध महानिदेशक और बोर्ड प्रतिवर्ष 10,000 करोड़ रुपए कीमत के कलपुर्जे खरीदते हैं। सैन्य बलों की यह बहुत पुरानी शिकायत है कि रूस से महत्वपूर्ण कलपुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में बहुत देरी होती है, जिससे मॉस्को से खरीदे गए सैन्य उपकरणों की देखरेख प्रभावित होती है। भारत को सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रूस है। विस्तृत समीक्षा के दौरान 13 लाख सैन्य शक्ति वाली सेना के अभियानों की तैयारियों में खामियां मिलने के बाद सरकार ने कलपुर्जों को स्वदेशी तरीके से विकसित करने का फैसला लिया है ताकि युद्ध संबंधी तैयारियों को बेहतर बनाया जा सके।

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