भारत की पहली आर्मी मेजर ' UN मिलिट्री जैन्डर एडवोकेट ऑफ़ द ईयर' अवॉर्ड के लिए चयनित

Edited By Tanuja,Updated: 26 May, 2020 11:16 AM

indian army major to be honoured with un military gender advocate award

लैंगिक समानता पर उत्कृष्ट कार्य के लिए भारतीय और ब्राज़ीलियाई महिला शान्तिरक्षकों को वर्ष 2019 के लिए संयुक्त रूप से ''यूएन मिलिट्री जैन्डर ...

संयुक्त राष्ट्रः लैंगिक समानता पर उत्कृष्ट कार्य के लिए भारतीय और ब्राज़ीलियाई महिला शान्तिरक्षकों को वर्ष 2019 के लिए संयुक्त रूप से 'यूएन मिलिट्री जैन्डर एडवोकेट ऑफ़ द ईयर' अवॉर्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। भारतीय सेना में मेजर सुमन गवानी दक्षिण सूडान के यूएन मिशन (UNMISS) में सैन्य पर्यवेक्षक के तौर पर ज़िम्मेदारी संभाल चुकी हैं जबकि ब्राज़ील की नौसैनिक अधिकारी कमान्डर कार्ला मोन्तिएरो डे कास्त्रो अराउजो मध्य अफ़्रीका गणराज्य में यूएन मिशन (MINUSCA) में कार्यरत हैं। 29 मई को अन्तरराष्ट्रीय शान्तिरक्षक दिवस पर एक ‘ऑनलाइन कार्यक्रम’ उन्हें सम्मानित किया जाएगा जिसमें  UN महासचिव एंतोनियो गुतरेस भी हिस्सा लेंगे।

 

यह पहली बार होगा जब दो शान्तिरक्षकों को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया जाएगा। मेजर गवानी ने यूएन सैन्य पर्यवेक्षक के तौर पर उनके योगदान को पहचाने जाने और पुरस्कार मिलने पर ख़ुशी ज़ाहिर की है। मेजर गवानी की दक्षिण सूडान में तैनाती वर्ष 2018 में हुई थी और इस दौरान उन्होंने 230 UN सैन्य पर्यवेक्षकों के लिए हिन्सक सन्घर्ष सम्बन्धी यौन हिन्सा जैसे विषयों पर परामर्शदाता के तौर पर कार्य किया। साथ ही मिशन के हर शिविर में महिला सैन्य पर्यवेक्षकों की तैनाती को सुनिश्चित किया। कमान्डर कार्ला मोन्तिएरो डे कास्त्रो अराउजो MINUSCA के मुख्यालय में अप्रैल 2019 से लैंगिक एवं संरक्षण सलाहकार के तौर पर कार्यरत हैं। उन्होंने लैंगिक मुद्दों व संरक्षण के विभिन्न आयामों पर केन्द्रित व्यापक पाठ्यक्रम को तैयार किया और फिर प्रशिक्षण प्रदान किया।

 

क्या है 'जैन्डर एडवोकेट ऑफ़ द ईयर"सम्मान
इस पुरस्कार की शुरुआत 2016 में हुई जिसका उद्देश्य सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1325 के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में शांतिरक्षकों के समर्पण और प्रयासों को पहचान और सम्मान दिया जाता है। यह प्रस्ताव मुख्य रूप से महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर केंद्रित है जिसमें तीन प्रमुख बिंदुओं पर बल दिया गया है।

 

  • हिंसक संघर्ष की रोकथाम।
  • महिलाओं और उनके अधिकारों का संघर्ष के दौरान और उसके बाद संरक्षण।
  • संघर्ष को सुलझाने के लिए सभी प्रक्रियाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाना।  

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