भारतीय युद्धपोत वियतनाम के बाद अब जापान के नौसैनिक अड्डे पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Oct, 2017 08:38 PM

indian battleship now after vietnam  on the naval base of japan

दक्षिण चीन सागर सहित हिंद- प्रशांत समुद्री इलाके में शांति व स्थिरता बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए ...

नई दिल्ली,( रंजीत कुमार ): दक्षिण चीन सागर सहित हिंद- प्रशांत समुद्री इलाके में शांति व स्थिरता बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए भारतीय नौसेना के दो युद्धपोत वीरवार को आईएनएस सतपुरा और कदमत जापान के नौैसैनिक अड्डा सासेबो पहुंचे। इसके पहले इन दोनों युद्धपोतों ने वियतनाम के नौसैनिक अड्डे पर लंगर डाला था।

दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा अपना प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिशों के बीच भारतीय युद्धपोतों का इस इलाके से होकर चीन के प्रतिद्वंदी देशों के यहां दौरा करना काफी अहम है।

जापानी तट पर भारतीय युद्धपोतों के पहुंचने के बारे में यहां नौसेना ने कहा है कि जापान के साथ परस्पर लाभजनक ,सहायक और मजबूत रिश्तों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों का यह हिस्सा है। भारतीय पोत 12 से 15 अक्तूबर तक जापानी नौसैनिक अड्डे पर रहेंगे। भारतीय पोत वहां से लौटते वक्त जापानी युद्धपोतों के साथ पैसेज अभ्यास भी करेंगे। सासेबो अड्डे पर प्रवास के दौरान सतपुरा और कदमत युद्धपोतों के कमांडर जापानी नौसैनिक कमांडरों के साथ पेशेवर आदान प्रदान के अलावा खेल और सामाजिक मेलजोल भी करेंगे।

यहां सामरिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि  भारतीय युद्धपोतंों के  जापान और वियतनाम के नौसैनिक अड्डों पर पहुंचने पर चीन की वैसी ही निगाह रहेगी जैसे कि चीनी पोतों के श्रीलंका , मालदीव और बांग्लादेश पहुंचने पर भारतीय सामरिक हलकों में रहती है। चीन के जापान और वियतनाम के साथ बढ़ते सैन्य तनाव के बीच भारतीय नौसैनिक पोतों द्वारा इन दोनों देशों के साथ सैन्य रिश्तों को गहरा करना काफी अहम माना जा रहा है।

भारत यह भी कहता रहा है कि दक्षिण चीन सागर में पोतों की आवाजाही की पूरी आजादी होनी चाहिए और इस पर कोई रोकटोक नहीं होनी चाहिए। भारत ने इस तरह इस समुद्री इलाके में अपने पोतों का विचरण करवा कर चीन को भी यह संदेश दिया है कि यह इलाका अंतरराष्ट्रीय समुद्री इलाका है और वहां किसी एक देश का आधिपत्य नहीं हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने ही भारतीय रक्षा मंत्री ने जापान का दौरा किया था और इसके बाद जापानी प्रधानमंत्री भारत दौरे पर आए थे।
 

गौरतलब  है कि भारत और जापान के बीच 2008 के बाद से ही नौसेना स्तर पर सुरक्षा बातचीत शुरू हुई थी। तब से दोनों नौसेनाओं के  बीच द्विपक्षीय रिश्ते नई ऊंचाई पर पहुंचे हैं। दोनों नौसेनाओं के बीच सागरीय सहयोग ने काफी विस्तार लिया है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग का यह सिलसिला अब रक्षा नीति वार्ता और समुद्री मसला वार्ता की शक्ल ले चुका है।

इस दौरान दोनों देश आपसी चिंता के मसलों पर बातचीत करते हैं और सहयोग के ठोस उपायों को अमल में लाते हैं। दोनों के बीच नियमित तौर पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों ने नौसैनिक रिश्तों की आधारशिला को मजबूत किया है।

जापानी नौसेना अब भारत और अमरीका के बीच होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास में शामिल हो चुकी है। इसके अलावा भारतीय नौसेना और जापानी समुद्री रक्षा बल के बीच मजबूत रक्षा ट्रेनिंग सहयोग का सिलसिला शुरु हुआ है। दोनों सेनाएं अब सैनिक तकनीक, व्यापारिक जहाजरानी, ट्रेनिंग, खुफिया आदान प्रदान, मानवीय सहायता और आपदा प्रबंध आदि में आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं।

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