भारतीय आयर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक 2019 लोकसभा में पास

Edited By Yaspal,Updated: 02 Jul, 2019 10:18 PM

indian council of medical research bill 2019 passes in lok sabha

लोकसभा ने मंगलवार को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के कार्यो को दो वर्षो के लिये एक शासी बोर्ड को सौंप जाने और इस दौरान परिषद का पुनर्गठन करने का...

नई दिल्लीः लोकसभा ने मंगलवार को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के कार्यो को दो वर्षो के लिये एक शासी बोर्ड को सौंप जाने और इस दौरान परिषद का पुनर्गठन करने का प्रस्ताव किया गया है। निचले सदन में ‘भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक-2019' पर चर्चा हुई। यह विधेयक इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन दूसरा अध्यादेश 2019 को प्रतिस्थापित करने के लिये लाया गया है।

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि एमसीआई में एक भी सदस्य नहीं होने और रिक्तता की स्थिति बनने के बाद 2010 की व्यवस्था का अनुसरण करते हुए शासी बोर्ड बनाया गया जिसने पिछले आठ महीने में देश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव और काम किये हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित डॉक्टरों वाले इस बोर्ड ने पिछले करीब आठ महीने में एमबीबीएस की 15 हजार सीटें बढ़ा दीं जो अपने आप में रिकार्ड है।

बोर्ड ने ज्यादा मेडिकल कॉलेजों की अनुमति दी और नियामक समयसीमाओं को पूरा किया। हर्षवर्धन ने कहा कि यह एक अस्थाई व्यवस्था है और सरकार जल्द स्थाई समाधान के तौर पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक लेकर आएगी। उन्होंने कहा, ‘‘एनएमसी विधेयक जल्द संसद में आएगा और स्थाई व्यवस्था बनेगी।'' उन्होंने सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार का एमसीआई की स्वायत्तता को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। वह बोर्ड के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करती और केवल कामकाज पर निगरानी रखती है।

हर्षवर्धन ने शासी बोर्ड के कामकाज का उल्लेख करते हुए कहा कि अध्यापकों की गुणवत्ता और सीटें बढ़ाने में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने अधिकतर राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए सीटों को लागू कर दिया। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, एन के प्रेमचंद्रन और सौगत राय के इस संबंध में लाये गये एक सांविधिक संकल्प को निरस्त करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी।

 

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