Edited By Tanuja,Updated: 09 Jul, 2019 03:07 PM
क्रिकेट वर्ल्ड कप का जादू आजकल हर किसी के सिर पर चढ़ कर बोल रहा है । इसकी मिसाल उस समय देखने को मिली जब एक भारतीय फैमिली ने मैच देखने के लिए जुनून की सारी हदें पार
लंदनः क्रिकेट वर्ल्ड कप का जादू आजकल हर किसी के सिर पर चढ़ कर बोल रहा है । इसकी मिसाल उस समय देखने को मिली जब एक भारतीय फैमिली ने मैच देखने के लिए जुनून की सारी हदें पार कर दीं। 6 सदस्यों वाली यह फैमिलीटीम इंडिया की हौंसला अफजाई करने सिंगापुर से लंदन तक कार से पहुंच गई। 17 मई को सिंगापुर से चली यह फैमिली 17 देशों के बॉर्डर पार कर 5 जुलाई को लंदन पहुंची। इस भारतीय फैमिली को आशा है कि 14 जुलाई को लंदन के लॉर्डस मैदान में होने वाले वर्ल्ड कप फाइनल में टीम इंडिया अपनी जगह बनाएगी और जीतेगी भी।
लंदन पहुंचे इस फैमिली के सदस्य अनुपम और अदिति माथुर ने इस अद्भुत और रोमांचक यात्रा के बारे में बताया कि फरवरी में जैसे ही वर्ल्ड कप की घोषणा हुई, वैसे ही उन्होंने सोच लिया कि वे लंदन जाकर वर्ल्ड कप का फाइनल देखेंगे । लेकिन बाद में विचार बदल गया और रोमांचक तरीके से कुछ करने की सोची। फिर प्लान बना कि क्यों न कार से सिंगापुर से लंदन जाया जाए। यह विचार मन में आते ही इसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। वीजा और अन्य जरूरी कागजातों के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कीं और फिर 17 मई को इस रोमांचक यात्रा पर निकल पड़े।
अनुपम की पत्नी अदिति ने रास्तों के खौफनाक पलों के बारे में जानकारी शेयर करते हुए कहा कि जब उन्हें चीन और किर्गिस्तान के बीच से गुजरना पड़ा, तो बड़ा खौफनाक मंजर सामने आया। अदिति ने बताया कि जब वह चीन की सीमा पार कर किर्गिस्तान में घुसे तो उन्हें पहाड़ी रास्तों पर भारी बर्फबारी का सामना करना पड़ा। सड़क पर साइड में रोड रिफलेक्टर भी नहीं थे। रात हो रही थी और रुकने का कोई ठिकाना भी नहीं मिल रहा था। वापस चीन में जा नहीं सकते क्योंकि वीजा सिर्फ रोड पासिंग का था. ऐसे में उन्हें डर सताने लगा कि दो छोटे बच्चों और सास-ससुर के साथ यहां कार में ही रात गुजारनी पड़ेगी लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया और कुछ देर बाद ही वह एक छोटे गांव में पहुंचे और वहां के एक छोटे से घर में जाकर शरण ली।
अनुपम ने रास्तों के बारे में बात करते हुए कहा कि जब वह मास्को से आगे बढ़े तो ऐसी जगह आने लगीं कि जिनका जिक्र इंटरनेट पर नहीं था। ऐसे में लोकल लोगों की मदद से आगे बढ़ना पड़ा. मास्को से एक रास्ता सीधा लंदन जाता था और एक लंबा रास्ता स्वीडन में आर्कटिक रेखा से होकर जाता था। हमने आर्कटिक रेखा तक जाना तय किया। हम शायद दुनिया में ऐसी फैमिली होंगी जिसकी तीन पीढि़यों ने एक साथ विषुवत रेखा पर स्थित सिंगापुर से आर्कटिक रेखा तक एक साथ सफर किया हो। उन्होंने बताया कि आर्कटिक रेखा पर पहुंचकर हमें अद्भुत अनुभव हुआ।
21 जून को इस रेखा पर कभी रात नहीं होती, 24 घंटे सूर्य चमकता है. हम स्वीडन के जुकासबरी जगह पर 28 जून को पहुंचे। वहां रात 12 बजे भी आसमान में सूर्य चमक रहा था। तभी हमने एक अद्भुत नजारा देखा। रात को 12 बजकर 15 मिनट पर सूर्यास्त हुआ और ठीक 15 मिनट बाद सूर्योदय होने लगा यह देखना बहुत रोमांचक था कि एक तरफ सूर्योदय हो रहा है और दूसरी तरफ सूर्यास्त।