भारतीय मेजर सुमन गवानी को यूएन 'मिलिट्री जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड' से किया गया सम्मानित

Edited By Yaspal,Updated: 29 May, 2020 08:45 PM

indian major suman gawani conferred with un military gender advocate award

भारतीय सेना की मेजर सुमन गवानी को यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पहली बार है जब किसी भारतीय को यह सम्मन मिला है। महासचिव एंटोनियो गुतरेज यूएन पीसकीपर्स डे के मौके पर एक वर्चुअल समारोह के दौरान सुमन गवानी को...

नई दिल्लीः भारतीय सेना की मेजर सुमन गवानी को यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पहली बार है जब किसी भारतीय को यह सम्मन मिला है। महासचिव एंटोनियो गुतरेज यूएन पीसकीपर्स डे के मौके पर एक वर्चुअल समारोह के दौरान सुमन गवानी को सम्मानित किया। मेजर सुमन को यह अवॉर्ड यूएन के यौन-हिंसा विरोधी अभियान में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है। मेजर सुमन एक मिलिट्री ऑब्जर्वर हैं, जो एक यूएन मिशन के तहत दक्षिणी सूडान में तैनात थीं। अपनी सेवा के दौरान मेजर सुमन ने यौन हिंसा से जुड़े मामलों पर निगरानी रखने वाली 230 महिला यूएन मिलिट्री ऑब्जर्वर्स को ट्रेनिंग दी। उन्होंने दक्षिणी सूडान में सभी यूएन मिशन साइट्स पर महिला यूएन मिलिट्री ऑब्जर्वर्स की तैनाती भी सुनिश्चित की। मेजर सुमन ने यौन हिंसा से जुडे़ मामलों को कंट्रोल करने के लिए दक्षिण सूडान की सेनाओं को भी ट्रेन किया।
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मेजर सुमन उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के पोखर गांव की रहने वाली हैं। उनकी स्कूली शिक्षा उत्तरकाशी में हुई। देहरादून के गवर्मेंट पीजी कॉलेज से उन्होंने बैचलर ऑफ एजुकेशन की डिग्री ली। मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, महू (मध्य प्रदेश) से उन्होंने टेलीकम्युनिकेशन की डिग्री भी ली। मेजर सुमन ने 2011 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी, चेन्नई से ग्रेजुएट होने के बाद इंडियन आर्मी ज्वॉइन की थी। वे आर्मी की सिग्नल कॉर्प से जुड़ीं थीं।
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यूएन के शांति मिशनों में हिस्सा लेने वाला भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है
1950 से ही इंडियन आर्मी यूएन के शांति मिशनों में हिस्सा लेती रही है। इंडियन आर्मी के जवान और यूनिट्स यूएन के 49 मिशनों में योगदान दे चुके हैं। करीब 2 लाख से ज्यादा भारतीय सैनिक दुनियाभर में यूएन के अंतर्गत अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वर्तमान में यूएन के शांति मिशनों में अपने सैनिक भेजने वाला भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है।
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पिछले 5 सालों से दिया जा रहा है अवॉर्ड
यूएन मिलिट्री जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड की शुरुआत 2016 में हुई थी। वे मिलिट्री पर्सनल जो अपने काम से यूएन सिक्योरिटी रेजोल्यूशन-1325 के सिद्धांतों को मजबूती देते हैं और आगे बढ़ाते हैं, उन्हें यह सम्मान दिया जाता है। 31 अक्टूबर 2000 में यूएन ने सिक्योरिटी रेजोल्यूशन-1325 को अपनाया था। इसके मुताबिक, यूएन के सभी शांति प्रयासों, संघर्षों को रोकने और संघर्ष के बाद के पुनर्निर्माण और तनावों की रोकथाम जैसे कार्यक्रमों में महिलाओं की बराबर भागीदारी सुनिश्चित करना है।
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इस साल की थीम है- शांति मिशनों में महिलाएं ही शांति की कुंजी हैं
इस साल 1948 से अब तक यूएन के बैनर तले शांति मिशनों में जान गंवा चुके 3900 से ज्यादा शांतिदूतों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके साथ ही यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस वर्तमान में यूएन मिशनों में काम कर रहे 95 हजार शांतिदूतों (पुलिस, मिलिट्री और आम नागरिकों) की सेवाओं के प्रति भी आभार जताएंगे। यूएन हेडक्वार्टर में वर्चुअल समारोह के जरिए ये सब होगा। इस साल की थीम महिलाओं पर आधारित है। इसका कारण है कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल रेजोल्यूशन-1325 के भी 20 साल पूरे हो गए हैं, जिसका मकसद यूएन मिशनों में महिलाओं की बराबर भागीदारी सुनिश्चित करना था।

 

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