भारत-चीन विवाद : अभी खतरा टला नहीं, अनसुलझे हैं कई सवाल ?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Aug, 2017 03:50 PM

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डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध खत्म होने का अमरीका में विशेषज्ञों ने स्वागत किया लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि समस्या खत्म नहीं हुई है ...

वाशिंगटनः डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध खत्म होने का अमरीका में विशेषज्ञों ने स्वागत किया लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि समस्या खत्म नहीं हुई है क्योंकि पिछले तीन दशक की यथास्थिति इतनी अधिक गड़बड़ा गई है कि इसे बदला नहीं जा सकता।  राजनयिक वार्ताओं के बाद कल भारत और चीन डोकलाम में सीमा पर तैनात जवानों के बीच के गतिरोध को त्वरित गति से खत्म करने पर सहमत हो गए थे।

अमरीका और चीन में भारत की राजदूत रह चुकीं निरूपमा राव ने कहा, ‘‘भूटान के डोकलाम इलाके में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध के तीव्र खात्मे की घोषणा का स्वागत है। यह भारत और चीन के संबंधों में जून से चल रहे संकट के तत्काल समाधान का प्रतीक है।’’  प्रतिष्ठित विल्सन सेंटर में पब्लिक पॉलिसी फैलो निरूपमा ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अब भी अनसुलझे सवाल हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के संबंध में एक नया और बेहद जटिल अध्याय खुल गया है। डोकलाम क्षेत्र इसमें शामिल है।
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उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी भी पक्ष की ओर से खुद ही अपने आप को मुबारकबाद देने से बचना चाहिए। पिछले तीन दशक में यथास्थिति में जितना व्यवधान पैदा किया गया है, उसे पलटा जाना संभव नहीं।’’ ब्रुकिंग्स इंस्टीट्च्यूट की तनवी मदान ने कहा कि सबसे अहम तथ्य यह है कि मामले में तनाव कम हुआ है और इसे कूटनीतिक ढंग से सुलझा लिया गया है।

तनवी ने कहा, ‘‘ भले ही चीन भारत द्वारा सेना का हटाया जाना वार्ता से पहले रखी गई शर्त बता रहा हो लेकिन  दोनों ओर से आने वाले बयान कुछ जानकारी देते हैं लेकिन उन्हें जानबूझकर इतना अस्पष्ट रखा गया है कि बहुत कुछ व्याख्या पर निर्भर हो जाता है। दोनों ही पक्ष अलग-अलग पहलुओं पर जोर दे सकते हैं।’’ वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर के माइकल कुगेलमैन ने कहा कि यह समाधान उम्मीद से पहले आ गया लेकिन यह पूरी तरह अपरिहार्य था।  उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी पक्ष संघर्ष को नहीं बर्दाश्त कर सकता, फिर चाहे वह कितने ही छोटे स्तर का क्यों न हो।

चीन और भारत के बीच अच्छी खासी आॢथक साझेदारी है और यह द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय ढंग से काम करती है। किसी भी पक्ष का हित ऐसे सहयोग को खतरे में डालने में नहीं था।’’ कुगेलमैन ने कहा, ‘‘लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं है। तनाव अब भी व्याप्त हैऔर अगला उकसावा भी दूर नहीं लगता। पाकिस्तान की चीन के साथ गहराती साझेदारी और बेल्ट एंड रोड पहल की तेज प्रगति भारत के लिए चिंता का विषय हैं। भूराजनीतिक समीकरण सीमा पर अतिरिक्त गतिरोधों के पहलुओं को बढ़ावा देते हैं।’’

वॉशिंगटन डीसी स्थित इंस्टीट््यूट फॉर चाइना-अमेरिका स्टडीज के सौरभ गुप्ता ने कहा कि भारत और चीन दोनों की ओर से जारी बयानों से ऐसा लगता है कि दोनों पक्षों ने एक साथ मिलकर फैसला किया है कि वे समाधान के लिए अलग-अलग कदम उठाएंगे।   3 से 5 सितंबर तक शियामेन में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित शिरकत को रेखांकित करते हुए गुप्ता ने कहा कि यदि गतिरोध के जारी रहने के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और मोदी एक आयोजन स्थल पर होते तो यह बहुत नुकसानदायी होता। 

  

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