'रिटायर्ड INS विराट टूटेगा या बनेगा म्यूजियम', केंद्र ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दिया जवाब

Edited By Yaspal,Updated: 04 Nov, 2020 06:11 PM

ins virat will break or become museum center answers in bombay high court

बंबई हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से एक निजी कंपनी के उस अनुरोध पर निर्णय लेने को कहा कि सेवा से हटा दिए गए विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विराट'' को उसे सौंप दिया जाए, ताकि उसे एक संग्रहालय में तब्दील किया जा सके। तोड़े जाने के लिए यह पोत गुजरात के...

मुंबईः बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से एक निजी कंपनी के उस अनुरोध पर निर्णय लेने को कहा कि सेवा से हटा दिए गए विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विराट' को उसे सौंप दिया जाए, ताकि उसे एक संग्रहालय में तब्दील किया जा सके। तोड़े जाने के लिए यह पोत गुजरात के अलंग स्थित एक यार्ड में खड़ा है। वहीं, केंद्र सरकार ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता पोत उस कंपनी से खरीदता है जिसने बोली लगाकर पोत को तोड़ने के लिए खरीदा था, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ मुंबई की एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने रक्षा मंत्रालय को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था कि वह उसे ‘विराट' को खरीदने की अनुमति प्रदान करे। याचिका में कहा गया है कि कंपनी पोत को एक समुद्री संग्रहालय और बहुआयामी साहसिक केंद्र में तब्दील करना चाहती है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत नीति का विषय है। इसने कहा, ‘‘यदि आईएनएस विराट को एक संग्रहालय में परिवर्तित किया जाता है....तो भी आवश्यक अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता है। उचित होगा कि रक्षा मंत्रालय कोई उपयुक्त निर्णय ले।''

याचिका में कहा गया था कि ‘आईएनएस विराट' को जब सेवा से हटाया गया था तब वह दुनिया का सबसे पुराना सेवारत युद्धपोत था। इसमें कहा गया, ‘‘ऐसे पोत को किसी समुद्री संग्रहालय में तब्दील करने की बजाय केंद्र सरकार द्वारा कबाड़ के रूप में बेचा जा रहा है। याचिकाकर्ता ने जुलाई में सरकार को एक आवेदन देकर पोत को अपने कब्जे में लेने और इसे संग्रहालय में बदलने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा था।'' अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि जहाज 67 साल पुराना है और 2015 से बिना इस्तेमाल के पड़ा हुआ था।

सिंह ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने शुरुआत में सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगे थे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जहाज बहुत जगह घेर रहा था और इसलिए सरकार ने इसे कबाड़ के रूप में बेचने का फैसला किया।'' उन्होंने कहा कि गुजरात के श्रीराम ग्रुप ने बोली लगाकर इसे खरीदा और बिक्री प्रक्रिया सितंबर में पूरी हो गई थी तथा सरकार को पैसा मिल गया है।

सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी श्री राम ग्रुप से संपर्क कर सकती है और उससे पोत खरीद सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें (सरकार) कोई आपत्ति नहीं है।'' अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार के संबंधित सचिव को याचिकाकर्ता की अर्जी पर फैसला करना चाहिए। अदालत ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, ‘‘यह वांछनीय होगा कि निर्णय जल्द लिया जाए क्योंकि यदि पोत को तोड़ दिया जाता है तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जिसे बदला नहीं जा सकेगा।''

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