Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Mar, 2019 11:37 AM
भारतीय नौसेना के नौवहन जहाज ‘‘तारिणी’’ की सभी महिला चालक दल सदस्यों ने न सिर्फ नया इतिहास रचा है बल्कि उन्होंने खुद के डर पर भी काबू पाया है और मामूली मसलों से ऊपर उठकर एक बेहतर टीम की तरह साझा लक्ष्य की दिशा में बढ़ना सीखा है।
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के नौवहन जहाज ‘‘तारिणी’’ की सभी महिला चालक दल सदस्यों ने न सिर्फ नया इतिहास रचा है बल्कि उन्होंने खुद के डर पर भी काबू पाया है और मामूली मसलों से ऊपर उठकर एक बेहतर टीम की तरह साझा लक्ष्य की दिशा में बढ़ना सीखा है। अपने 254 दिन के अभियान के दौरान ‘नाविका सागर परिक्रमा’ की छह सदस्यों ने विषम परिस्थितियों में पूरे जोश से सागर की तेज लहरों, तपते सूर्य की प्रचंड गर्मी, बर्फीली हवाओं और जबरदस्त ठंड का सामना करते हुए 22,000 समुद्री मील का सफर तय किया। लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने भारतीय नौसेना के इस पहले महिला दल का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।
उन्होंने कहा कि टीम ने खुशी और निराशा का हर लम्हा जिया लेकिन साथ ही अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना भी सीखा। जोशी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हर शख्स में खूबियां होती हैं। लोगों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों गुण होते हैं। मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती उन सकारात्मक गुणों को बाहर लाकर पूरी टीम को आगे बढ़ाने के लिए उनका इस्तेमाल करना था। हमारे आगे जो सबसे बड़ा लक्ष्य था, वह इस मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाना था। यह लक्ष्य हमारे लिए बेहद अहम था। देश में निर्मित जहाज की संचालक ऋषिकेश की निवासी हैं। उन्होंने कहा कि सभी छह महिलाएं अपने घर से दूर समुद्र में खतरनाक जोखिमों से अकेली जूझ रही थीं। इसलिए ऐसे पल भी आए जब हमने भावनाओं के समंदर में गोते लगाए। जोशी ने कहा कि इसलिए मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती और सबसे बड़ी सीख यह थी कि अपनी टीम की सदस्यों को मैं शांत रखूं और पूरी टीम को एकजुट रखते हुए अपने लक्ष्य से समझौता नहीं करूं।