International Yoga Day 2019: स्वास्थ्य और खुशी के लिए ‘योग’ अपनाएं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Jun, 2019 10:11 AM

international yoga day 2019

योग हमारे शरीर की विभिन्न प्रणालियों में कार्य करता है, हार्वर्ड के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि तथा डायबिटीज में दवाओं की जरूरत में 40 प्रतिशत तक कमी लाने में मदद करता है।

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योग हमारे शरीर की विभिन्न प्रणालियों में कार्य करता है, हार्वर्ड के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि तथा डायबिटीज में दवाओं की जरूरत में 40 प्रतिशत तक कमी लाने में मदद करता है। विश्व के 170 से अधिक देश 21 जून 2019 को 5वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं, वहीं यह समय है कि प्राचीन भारत के इस खजाने तथा विश्व विरासत के इस विलक्षण हिस्से पर नजर डाली जाए। 

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विश्व भर में कई तरह से किया जाता तथा लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि होने वाला योग मुख्य रूप से एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक क्रिया है जिसका उद्भव लगभग 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में हुआ था। यह एक प्रभावी व्यायाम है लेकिन उससे भी कहीं अधिक है। यह तंदरुस्ती प्राप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण है। यह शरीर तथा मन के बीच महत्वपूर्ण संबंध की पहचान करता है। इसका उद्देश्य ‘संतुलन’ तथा ‘समभाव’, ‘शांति’, ‘संतुलन’ तथा ‘सुघड़ता’ है। यह श्रेष्ठता तथा सामंजस्य की खोज के लिए एक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है।

शब्द ‘योग’ संस्कृति से लिया गया है और इसका अर्थ ‘शामिल’ करने से या ‘एकजुट’ होने से। योग विज्ञान मानव अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं को जोड़ता है जिनकी शुरूआत शरीर तथा मन से होती है। भारतीय ऋषि-मुनियों ने मानव प्रगति के महत्वपूर्ण पहले चरण के तौर पर शारीरिक तंदरुस्ती पर जोर दिया है। यह पहचानते हुए कि योग स्वास्थ्य तथा तंदरुस्ती के लिए एक समग्र दृष्टिकोण उपलब्ध करवाता है और योग करना वैश्विक जनसंख्या के लिए लाभकारी होगा, संयुक्त राष्ट्र ने अपने प्रस्ताव 69/131 द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया।

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संतुलन की जरूरत
हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जिसमें हमारे सामने अप्रत्याशित दिशाओं में अप्रत्याशित परिवर्तन की बड़ी चुनौतियां हैं। जिस तरीके से हम  सीख, कार्य कर तथा आनंद ले रहे हैं, वह बड़ी तेजी से बदल रहा है। रहन-सहन के तरीके तकनीक के माध्यम से बदल रहे हैं। हम आर्थिक विकास तथा समृद्धि के लिए, सुगमता तथा आराम को बढ़ाने, अपनी जानकारी तथा कौशल को समृद्ध करने, मनोरंजन तथा शिक्षा हेतु अपने विकल्पों को बढ़ाने हेतु अपनी अथक खोज का हम महत्वपूर्ण विकास कर रहे हैं। यद्यपि जहां वैश्विक समुदाय ने 2015 में अपने विकास के एजैंडे की रूपरेखा बनाना शुरू किया, इसे एहसास हुआ कि हम ‘विकास’ के एक बड़े हिस्से से वंचित हैं। जरूरत थी संतुलन की। जरूरत थी गरीबों की परवाह करने की। जरूरत थी अपने ग्रह की देखभाल करने की। जरूरत थी ‘सकल राष्ट्रीय उत्पाद’ के अतिरिक्त ‘सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता’ पर ध्यान देने की। जरूरत थी प्रकृति पर ज्यादतियां और उसका अंधाधुंध शोषण करने, अत्यधिक उपभोग से बचने की, हमारे व्यक्तिगत रहन-सहन तथा वैश्विक प्रशासन की पद्धतियों के नवीनीकरण की। स्थिरता एक नया मंत्र बन गई और ‘संतुलन’ स्थिरता के हृदय में है और वह ‘संतुलन’ सभी क्षेत्रों में शारीरिक तंदरुस्ती से शुरू होता है और योग इसी सब के बारे में है। 

प्राचीन भारतीय विद्वता की सर्वोत्तम रचना भगवत गीता में दो महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं-‘‘योग-स्थाह कुरु कर्माणी (अपना कर्तव्य योग के प्रति दृष्टिकोण से करें)’’ तथा ‘‘सामात्मव योग उच्चयाते (संतुलन योग का सार है)।’’ 

योग जीवन के प्रति एक ऐसा दृष्टिकोण है जो शारीरिक व मानसिक संतुलन तथा विविधतापूर्ण तत्वों के सामंजस्यपूर्ण की ओर कार्य करता है जिसमें पर्यावरण की सुरक्षा शामिल है। इसे चरितार्थ करते हुए 2019 के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय ‘जलवायु कार्रवाई’ है। योग मनुष्यों की तंदरुस्ती के साथ-साथ हमारे ग्रह के स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक है। 

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योग के लाभ 
योग के लाभों का दुनिया को धीरे-धीरे एहसास हो रहा है। जहां विश्व महामारियों से पारगमन कर रहा है और बीमारियों के कुल बोझ में प्रमुख गैर संचारक बीमारी समूहों का बोझ बढ़ता जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है कि लोग स्वास्थ्यपूर्ण चयन करें तथा रहन-सहन की ऐसी पद्धतियों का अनुसरण करें जो अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करें।

जैसी कि हार्वर्ड मैडीकल स्कूल के विशेषज्ञों ने पाया है कि योग चार तत्वों का मिश्रण है: हाव-भाव, सांस लेने का तरीका, तनाव मुक्ति तथा ध्यान, जो स्वास्थ्य पर काफी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह गठिया के दर्द को कम करता है, दिल की बीमारी के जोखिम को घटाता है, माइग्रेन से राहत दिलाता है और हड्डियों की कमजोरी, ऊतकों की कड़ाई तथा मांसपेशियों व हड्डियों में असहनीय दर्द (फाइब्रोमायल्जिया) से लड़ता है। एक अध्ययन ने दिखाया है कि कैसे योग रक्तधमनियों की लचकता में 69 प्रतिशत वृद्धि करता है और यहां तक कि दवाओं के बिना धमनियों की ब्लॉकेजिस में कमी लाने में मदद करता है। 

चूंकि योग हमारे शरीर की विभिन्न प्रणालियों में कार्य करता है, हार्वर्ड के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि तथा डायबिटीज में दवाओं की जरूरत में 40 प्रतिशत तक कमी लाने में मदद करता है। इन शोधकर्ताओं के अनुसार योग लोगों के स्वास्थ्य तथा तंदरुस्ती के इतना काम आता है कि जो लोग योग करते हैं वे चिकित्सा सेवाओं का 43 प्रतिशत कम इस्तेमाल करते हैं और एक वर्ष में 640 डालर से लेकर 25 हजार डालर से अधिक की बचत कर सकते हैं। 

यह वास्तव में बहुत संतोष का विषय है कि भारत दुनिया भर में करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य तथा तंदरुस्ती में योगदान डाल रहा है। आगे रह कर नेतृत्व करते हुए प्रधानमंत्री मोदी जानकारी सांझा करने के इस व्यापक अभ्यास की अगुवाई कर रहे हैं। यह तथ्य कि संयुक्त राष्ट्र में मोदीनीत सरकार द्वारा पेश प्रस्ताव को रिकार्ड संख्या में 177 देशों ने समर्थन दिया था, योग के वैश्विक आकर्षण तथा वैश्विक स्वास्थ्य में सहयोग के लिए भारत की तैयारी इस बात का प्रमाण है, जो विश्व का दीर्घकालिक विकास उद्देश्य है। 

चीन के कुनमिंग में युन्नान मिंझू विश्वविद्यालय में पहले भारत-चीन योग कालेज तथा तुर्कमेनिस्तान के अश्गाबत में इंडिया-तुर्कमेनिस्तान सैंटर फार योग एंड ट्रैडीशनल मैडीसन की स्थापना योग के लाभों को फैलाने के लिए इसके प्रयासों में महत्वपूर्ण पहले कदम हैं। 

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दुनिया भर में लोकप्रिय
उपराष्ट्रपति के तौर पर अपना कार्यभार सम्भालने के बाद मैं विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए विभिन्न विदेशी राष्ट्रों का दौरा करता रहा हूं। मुझे यह जानकर अत्यंत खुशी भरी हैरानी हुई कि योग सारी दुनिया में अत्यंत लोकप्रिय बन गया है। मुझे पता चला कि अमरीका सहित कुछ देशों ने अपने कुछ स्कूलों में योग को बच्चों के लिए अपने पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल किया है। मैंने बहुत से देशों में योग केन्द्र देखे हैं जैसे कि उदाहरण के लिए पेरू। कोस्टा रिका में राष्ट्रपति कार्यालय से जारी एक हुकमनामे में घोषणा की गई है कि योग तथा ध्यान के संवद्र्धन से संबंधित सभी कार्य तथा प्रयास जनहित में हैं। 

योग न केवल स्वास्थ्य तथा तंदरुस्ती को लेकर है बल्कि यह ‘ध्यान केन्द्रित करने’ तथा ‘उत्कृष्टता’के लिए भी है। जैसा कि भगवत गीता में कहा गया है, ‘योग:कर्मसुकुशलाम’ अर्थात आपके कार्य में श्रेष्ठता योग है। यह श्रेष्ठता ‘ध्यान’ तथा ‘धारण’ के साथ-साथ ‘यामा’ (नैतिक आचरण), नियम के परिणामस्वरूप आती है, जो योग के 8 स्तरीय दृष्टांत का एक हिस्सा है, जैसा कि योग के अग्रणी प्रतिपादक पतंजलि ने पारिभाषित किया था। 

इसलिए योग सोचने, व्यवहार करने, सीखने तथा समस्याओं को सुलझाने का एक तरीका है। यह खुद को बाहरी वातावरण के साथ जोडऩे तथा विचार और कार्रवाई की सकारात्मक सक्रियाएं उत्पन्न करने का एक विलक्षण तरीका है। यह स्थिरता पैदा करता है, क्षमता बढ़ाता है तथा मिलनसारिता को प्रोत्साहित करता है। यह स्थिरता की एक प्रभावी जमीन के तौर पर कार्य कर सकता है। 

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प्रसिद्ध योग गुरु दिवंगत बी.के.एस. अयंगर ने कहा था कि ‘योग संगीत की तरह है। शरीर की ताल, मन का राग तथा आत्मा की लय जीवन की संगीत रचना करते हैं।’ यह संगीत रचना आज भौगोलिक, राष्ट्रीय भाषायी तथा धार्मिक सीमाओं से परे करोड़ों घरों में गुंजायमान है। मैं आशा करता हूं कि विश्व के लोग इन स्वर लहरियों से लाभ प्राप्त करेंगे और उन व्याधियों से मुक्त होंगे जिन्होंने उन्हें घेर रखा है। योग के पांचवें अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर मैं भारत तथा विश्व के लोगों को प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों की शाश्वत सार्वभौमिक प्रार्थना के साथ अभिवादन करने से बेहतर नहीं कर सकता कि: 
सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चिद् दुख भाग्भवेत्।

अर्थात हर कोई सुखी, स्वस्थ हो तथा हर कहीं अच्छा देखे। 


 

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