International Youth Day: अपने कर्तव्य जानें युवा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Aug, 2019 07:37 AM

international youth day

प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया जाता है। पहली बार इसे सन् 2000 में मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय के अनुसार वर्ष 1985 को अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया था। जिसके बाद युवाओं को समर्पित एक दिवस के...

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प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया जाता है। पहली बार इसे सन् 2000 में मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय के अनुसार वर्ष 1985 को अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया था। जिसके बाद युवाओं को समर्पित एक दिवस के आयोजन पर विचार होने लगा था। आज इस दिवस को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। 

उद्देश्य: इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों की ओर ध्यान आकर्षित हो।

इस वर्ष की थीम : ‘ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन’ यानी ‘शिक्षा जो युवाओं के जीवन में परिवर्तन लाए’

PunjabKesari International Youth Day

युवाओं का देश भारत
किसी भी देश का युवा उस देश के विकास का सशक्त आधार होता है लेकिन जब यही युवा अपनी सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों को भूलकर विलासिता के कार्यों में लिप्त हो जाता है तो देश बर्बादी की ओर बढ़ जाता है। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का अर्थ है कि सरकार युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। 

भारत को युवाओं का देश कहा जाता है अर्थात हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है। जरूरत है तो इस युवा शक्ति को उचित मार्गदर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की। 

भारत में युवाओं की संख्या बहुत अधिक है। हर 3 में से 1 व्यक्ति युवा है यानी 15 से 24 वर्ष के बीच और देश की जनसंख्या में बच्चों की संख्या 37 प्रतिशत के करीब है। वर्ष 2020 तक देश की औसत आयु 29 वर्ष होगी। भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं और उपलब्धियां बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती हैं कि युवाओं में कौशल, ऊर्जा और सफलता की कितनी इच्छा है तथा क्या नेतृत्व, भागीदारी और स्वेच्छा को पोषित करने वाली प्रभावशाली प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। 

राष्ट्रीय युवा नीति 2014 में युवाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया है परंतु युवाओं को स्वयं भी अपना तथा देश का नाम रौशन करने के लिए अपने कर्त्तव्यों का ज्ञान होना चाहिए। 

युवाओं के कर्त्तव्य
युवा उचित मार्ग दर्शन पाकर देश की उन्नति में भागीदार बनें। 

वे अच्छे संस्कार, उचित शिक्षा एवं प्रोद्यौगिक विशेषज्ञ बनने में बढ़-चढ़ कर दिलचस्पी लें। 

युवाओं का चरित्र निर्माण देश तथा समाज की उन्नति के लिए परम आवश्यक है। दुश्चरित्र युवा न तो अपना भला कर सकता है, न समाज का और न ही अपने देश का। ऐसे में जरूरी है कि युवा बुरी आदतों जैसे- नशा, जुआ, हिंसा इत्यादि से दूर रहें। 

देश निर्माण में बढ़-चढ़ कर भाग लें। देश की उन्नति के लिए, देश को विश्व के विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा करने के लिए युवा वर्ग को ही मेधावी, श्रमशील, देश भक्त तथा समाज सेवा की भावना से ओत-प्रोत होना होगा।

युवा वर्ग को अपने विद्यार्थी जीवन में अध्ययनशील, संयमी, चरित्र निर्माण के लिए आत्मानुशासन लाकर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के प्रयास करने चाहिएं जिसके लिए समय का सदुपयोग आवश्यक है। 

उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए।

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विद्यार्थी जीवन का सदुपयोग करें
शिक्षा के बिना कोई भी अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने में अक्षम रहता है, फिर चाहे उसके पास अपने पूर्वजों का बना-बनाया, स्थापित कारोबार ही क्यों न हो या वह किसी राजनयिक या प्रशासनिक अधिकारी की संतान ही क्यों न हो। शिक्षा के बिना जीवन में कोई भी कार्य या व्यवसाय उन्नति नहीं कर सकता। किसी युवा को किसी खेल या अन्य गतिविधि में रुचि है तो उसे उस ओर भी मन लगा कर प्रयास करने चाहिएं। युवा अपने विद्यार्थी जीवन के समय का सदुपयोग कर अपने लक्ष्य को प्राप्त  करने का संकल्प लें।

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