Edited By shukdev,Updated: 01 Apr, 2018 05:42 PM
एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक यानी ई-वे बिल प्रणाली रविवार से शुरू हो गई है। वहीं, जीएसटी नेटवर्क के अधिकारियों ने कहा कि ई- वे बिल मंच सुचारू रूप से काम रहा है। कर्नाटक एक मात्र एक ऐसा राज्य है जिसने राज्य के भीतर भी...
नई दिल्ली: एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक यानी ई-वे बिल प्रणाली रविवार से शुरू हो गई है। वहीं, जीएसटी नेटवर्क के अधिकारियों ने कहा कि ई- वे बिल मंच सुचारू रूप से काम रहा है। कर्नाटक एक मात्र एक ऐसा राज्य है जिसने राज्य के भीतर भी माल परिवहन के लिए ई- वे बिल प्रणाली को लागू किया। कर्नाटक अंतरराज्यीय माल ढुलाई के लिए पिछले साल सितंबर से ई- वे बिल मंच का इस्तेमाल कर रहा है।
रविवार से देशभर में अंतरराज्यीय माल परिवहन के लिए ई-वे बिल की शुरुआत की गई है जबकि राज्य के भीतर माल परिवहन के मामले में इस व्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। इस प्रणाली के तहत कारोबारी अथवा ट्रासंपोर्टर को 50,000 रुपए से अधिक मूल्य का माल एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाते हुए जीएसटी निरीक्षक के समक्ष ई- वे बिल पेश करना होगा।
माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के अधिकारी ने कहा कि ई- वे बिल मंच सुचारू रूप से काम कर रहा है और कर्नाटक एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई के लिए पहले से ई- वे बिल जारी कर रहा है। माल एवं सेवा कर के ई-वे बिल प्रावधानों को पहले एक फरवरी से लागू किया गया लेकिन परमिट जारी करने वाली प्रणाली में खामिया आने के बाद इसके कार्यान्वयन पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद प्लेटफॉर्म को अधिक मजबूत बनाया गया ताकि वह बिना किसी रुकावट के प्रतिदिन 75 लाख ई-वे बिल निकाले सके। यह प्रणाली राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने डिजाइन और विकसित की है।
ई-वे बिल पोर्टल पर अब तक 11 लाख कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों ने पंजीकरण किया है। जीएसटी के तहत 1.05 करोड़ व्यावसाय पंजीकृत हैं और करीब 70 लाख ने जीएसटी रिटर्न दाखिल किया है। पिछले महीने की शुरुआत में जीएसटी परिषद ने अंतर-राज्यीय परिवहन पर ई-वे बिल एक अप्रैल से और राज्य के अंदर परिवहन पर ई-वे बिल 15 अप्रैल के बाद चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला किया। राज्य के भीतर माल परिवहन के लिए ई-बिल की शुरुआत धीरे धीरे आगे बढ़ाई जाएगी।