Edited By Seema Sharma,Updated: 02 Sep, 2018 08:31 AM
उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार भाजपा में उथल-पुथल मची हुई है। सपा-बसपा एकता के बाद उत्तर प्रदेश में अगर भाजपा कठिन दौर में है तो अब यह बात सामने आई है कि केन्द्रीय मंत्री और आर.एल.एस.पी. के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने दिल्ली में राकांपा नेताओं के साथ...
नेशनल डेस्कः उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार भाजपा में उथल-पुथल मची हुई है। सपा-बसपा एकता के बाद उत्तर प्रदेश में अगर भाजपा कठिन दौर में है तो अब यह बात सामने आई है कि केन्द्रीय मंत्री और आर.एल.एस.पी. के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने दिल्ली में राकांपा नेताओं के साथ लम्बी बातचीत कर बिहार में विभिन्न दलों को फिर से लामबद्ध करने की संभावनाओं का पता लगाया। उन्होंने वरिष्ठ राकांपा नेता व लोकसभा सांसद तारिक अनवर और डी.पी. त्रिपाठी के साथ मुलाकात कर बिहार के मामलों पर चर्चा की। तारिक बिहार से लोकसभा के सदस्य हैं। त्रिपाठी ने इसबात की पुष्टि की कि कुशवाहा ने मुलाकात की है।
कुशवाहा की पार्टी के बिहार से लोकसभा के 3 सदस्य हैं और उन्होंने उस समय भाजपा के साथ गठबंधन से चुनाव लड़ा था जब नीतीश ने मई 2014 में भाजपा को धोखा दिया था। जब से भाजपा ने फिर से नीतीश कुमार का साथ लिया है उस समय से कुशवाहा अप्रसन्न हैं। वह नीतीश को पसंद नहीं करते क्योंकि वह महसूस करते हैं कि बिहार में कुशवाहा समुदाय के 9 प्रतिशत वोट हैं, जबकि कुर्मी के वोट केवल 6 प्रतिशत हैं। दूसरा कारण यह है कि भाजपा उनकी पार्टी आर.एल.एस.पी. को केवल 2 लोकसभा सीटें दे रही है जबकि वह 6 सीटों की मांग कर रहे हैं। कुशवाहा ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह के साथ भी बंद कमरे में मुलाकात की।
वह चाहते हैं कि कांग्रेस, राकांपा और राजद उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें दें। लालू चाहते हैं कि कुशवाहा हर कीमत पर महागठबंधन के साथ रहें। आर.एल.एस.पी. नेता ने हाल ही में उस समय यह कह कर हलचल पैदा कर दी जब उन्होंने ‘अपनी खीर’ रणनीति बताई और कहा कि अगर यादव दूध हैं तो कुशवाहा चावल और दोनों मिलकर अच्छी खीर बना सकते हैं। जून में बिहार में एन.डी.ए. के घटक दलों की हुई बैठक में कुशवाहा शामिल नहीं हुए थे। बिहार की लोकसभा की 40 सीटें हैं। कुशवाहा समुदाय राज्य में चौथा सबसे बड़ा जाति ग्रुप है। मुसलमानों की वोट संख्या 17 प्रतिशत, दलित 15 प्रतिशत, यादव 14 प्रतिशत हैं। इस तरह राज्य में 15 से 20 सीटों पर कुशवाहा समुदाय का प्रभाव है।