Edited By vasudha,Updated: 02 Aug, 2020 10:05 AM
यह किसी से छुपा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में old vs young के बीच छिड़ी जंग खुलकर सामने आने लगी है। जहां एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपने नौजवान साथियों को सलाह दी है कि अपनी खुद की विरासत का अपमान नह...
नेशनल डेस्क: यह किसी से छुपा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में old vs young के बीच छिड़ी जंग खुलकर सामने आने लगी है। जहां एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपने नौजवान साथियों को सलाह दी है कि अपनी खुद की विरासत का अपमान नह करने की सलाह दी है तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी के कुछ करीबी नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
खबरों की मानें तो कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हाल ही में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई एक उच्च स्तरीय बैठक बैठक के दौरान कांग्रेसी नेता और राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल और राजीव सातव ने पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेतृत्व और विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को 2014 और 2019 के निराशाजनक चुनावी प्रदर्शनों के लिए जमकर निशाने पर लिया। विशेष रूप से यूपीए II में मनमोहन सिंह के नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
सूत्रों की मानें तो दोनों ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के रिकॉर्ड को रखा और मनमोहन सिंह के शासन में नेतृत्व में विफलता को कांग्रेस की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार बताया। हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने इसका विरोध करते हुए ट्विटर पर लिखा कि भाजपा 2004 से 2014 तक 10 साल सत्ता से बाहर रही। लेकिन उन्होंने उस समय की हालत के लिए कभी अटल बिहारी वाजपेयी या उनकी सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया। कांग्रेस में दुर्भाग्य से कुछ दिग्भ्रमित लोग राजग और भाजपा से लड़ने के बजाय डॉ मनमोहन सिंह नीत संप्रग सरकार पर छींटाकशी कर रहे हैं। जब एकता की जरूरत है, वे विभाजन कर रहे हैं।
बहस और आगे बढ़ गयी जब तिवारी के जवाब में कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने कहा कि 2014 में पद छोड़ते समय डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि इतिहास मेरे प्रति उदार रहेगा। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि क्या कभी उन्होंने कल्पना भी की होगी कि उनकी ही पार्टी के कुछ लोग देश के प्रति उनकी सालों की सेवा को खारिज कर देंगे और उनकी विरासत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। वह भी उनकी मौजूदगी में? केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने तिवारी और देवड़ा के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि संप्रग के क्रांतिकारी दस सालों को दुर्भावनापूर्ण विमर्श के साथ कलंकित कर दिया गया। हमारी हार से सीखने को बहुत सारी बातें हैं और कांग्रेस के पुनरुद्धार के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। लेकिन हमारे वैचारिक शत्रुओं के मनमाफिक चलने पर ऐसा नहीं हो सकता। बता दें कि कांग्रेस में युवा और अनुभवी नेताओं के बीच विभाजन अक्सर सामने आता रहा है जो पिछले कुछ महीनों में पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने और राजस्थान में सचिन पायलट के विद्रोह से चरम पर पहुंच गया।