Edited By rajesh kumar,Updated: 27 Jan, 2021 07:31 PM
आज किसान संगठनों के बीच दरार दिखाई देने लगी। लाल किले में हुई घटना पर विरोध जताते हुए कई किसान संगठनों ने आंदोलन छोड़ने का ऐलान कर दिया है। किसानों संगठनों के आंदोलन से अलग होने के बाद प्रदर्शन वाली जगहों से तंबू उखड़ने शुरू हो गए हैं। ठाकुर भानु...
नेशनल डेस्क: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के दो महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच आज किसान संगठनों के बीच दरार दिखाई देने लगी। दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले में हुई घटना पर विरोध जताते हुए कई किसान संगठनों ने आंदोलन छोड़ने का ऐलान कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह और ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी' के वी एम सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंदोलन खत्म करने की घोषणा कर दी है। इसके बाद किसान भी प्रदर्शन वाली जगह से अपना बोरिया बिस्तर समटते हुए नजर आए।
भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने छोड़ा आंदोलन
गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर रैली करने का आहान किया था। लेकिन जैसे ही मंगलवार को रैली निकली तब किसानों का एक एक जत्था तय रूट से हटकर लाल किले की ओर बढ़ गया। इस दौरान यहां पर प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई। यहीं नहीं प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर अपना धार्मिक झंडा भी लहरा दिया। जिसके बाद किसानों की चौतरफा निंदा की गई। प्रदर्शन में शामिल कई संगठनों के इसे गलत करार दिया। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान जो कुछ भी हुआ उससे वह काफी दुखी हैं और उनकी यूनियन ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया है। भाकियू (भानु) से जुड़े किसान नोएडा-दिल्ली मार्ग की चिल्ला सीमा पर प्रदर्शन कर रहे थे।
किसान नेता वीएन सिंह ने भी खुद को आंदोलन से किया अलग
ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी' के वी एम सिंह ने कहा कि उनका संगठन मौजूदा आंदोलन से अलग हो रहा है क्योंकि वे ऐसे विरोध प्रदर्शन में आगे नहीं बढ़ सकते जिसमें कुछ की दिशा अलग है। किसानों की मांगों को रेखांकित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर मंगलवार को निकाली गयी ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के कारण अराजक दृश्य पैदा हो गए। बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिला पहुंच गए और उसकी प्राचीर पर उस स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है। ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली का आईटीओ एक संघर्ष क्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी वाहनों को क्षतिग्रस्त करते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि इसके गुनहगारों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
किसान समेट रहे अपना सामान व टेंट
किसानों संगठनों के आंदोलन से अलग होने के बाद प्रदर्शन वाली जगहों से तंबू उखड़ने शुरू हो गए हैं। सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हुई हैं जिसमें आप प्रदर्शनकारियों किसानों को आप टेंट और बिस्तर समेटते हुए देख सकते हैं। करीब दो महीनों से किसान यहां डेरा जमाए हुए थे। आंदोलन के शुरूआती दिनों में इन्होंने कहा था कि वह छह महीने का राशन लेकर यहां आए हैं। घटना स्थल पर पुलिस की निगरानी में किसानों को वापस घर भेजा जा रहा है।
राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव समेत नेताओं पर दर्ज हुई एफआईआर
मंगलवार को हुई घटना के बाद गृह मंत्रालय भी एक्शन में आ गया है। दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर कई किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज की है, इनमें राकेश टिकैत, डॉ. दर्शन पाल, जोगिंदर सिंह उग्राहा, बूटा सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, योगेंद्र यादव ,हरपाल सिंह, ऋषिपाल, जगतार बाजवा और राजेंद्र सिंह का नाम शामिल है। ट्रैक्टर रैली को लेकर NOC पर दस्तखत करने वाले साभी नेताओं के खिलाफ एफआईआर की गई है।