Edited By Seema Sharma,Updated: 01 Jun, 2018 04:35 PM
सुप्रीम कोर्ट ने उसके जमानत आदेश पर निचली अदालत द्वारा अमल न किए जाने पर नाराजगी जताते हुए आज सवाल किया कि क्या मजिस्ट्रेट कोर्ट उससे ऊपर है? न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम.एम. शांतनगौदर की अवकाशकालीन पीठ ने यह सवाल उस वक्त किया जब...
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उसके जमानत आदेश पर निचली अदालत द्वारा अमल न किए जाने पर नाराजगी जताते हुए आज सवाल किया कि क्या मजिस्ट्रेट कोर्ट उससे ऊपर है? न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम.एम. शांतनगौदर की अवकाशकालीन पीठ ने यह सवाल उस वक्त किया जब उसे बताया गया कि शीर्ष अदालत के जमानत आदेश मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसलिए मानने से इंकार कर दिया है क्योंकि उसमें जमानत की राशि का जिक्र नहीं किया गया था। दरअसल एक आरोपी के वकील ने न्यायालय से कहा कि शीर्ष अदालत के जमानत आदेश के बावजूद उनके मुवक्किल को रिहा नहीं किया गया है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) ने आदेश में जमानत राशि का जिक्र नहीं किए जाने के कारण इस पर अमल करने से इंकार कर दिया है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। क्या एसीएमएम हमसे ऊपर है।
अवकाशकालीन पीठ ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि क्या एसीएमएम सुप्रीम कोर्ट की अपीलीय अदालत है? वकील ने कहा कि एसीएमएम ने अपने 21 मई के आदेश में कहा है कि शीर्ष अदालत ने जमानत की राशि का जिक्र नहीं किया है इसलिए आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। इस पर न्यायमूर्ति राव ने कहा कि एसीएमएम को यह महसूस करना चाहिए कि यदि शीर्ष अदालत ने जमानत राशि का जिक्र नहीं भी किया है तो निचली अदालत को जमानत राशि निर्धारित करके आरोपी को जमानत पर रिहा कर देना चाहिए था।
गौरतलब है कि 17 मई को न्यायमूर्ति रोहिंग्टन एफ नरीमन की पीठ ने धोखाधड़ी एवं आपराधिक साजिश रचने के आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, लेकिन एसीएमएम ने इस पर अमल करने से इंकार कर दिया था, इसके बाद आरोपी ने फिर से अवकाशकालीन खंड पीठ के समक्ष याचिका दायर की थी।