UN में बोला भारत- यमन में आईएसआईएस, अलकायदा की मौजूदगी से निपटने की जरूरत

Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Dec, 2020 04:33 PM

isis in yemen need to deal with al qaeda presence india

भारत ने कहा है कि यमन के कुछ हिस्सों में आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकवादी तत्वों की मौजूदगी तथा लोगों पर उनके लगातार हमलों से निपटने की जरूरत है। भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद से वैश्विक स्तर पर लड़ने में तथा इन आतंकी संगठनों का...

नेशनल डेस्क: भारत ने कहा है कि यमन के कुछ हिस्सों में आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकवादी तत्वों की मौजूदगी तथा लोगों पर उनके लगातार हमलों से निपटने की जरूरत है। भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद से वैश्विक स्तर पर लड़ने में तथा इन आतंकी संगठनों का समर्थन करने एवं पनाह देने वालों को जवाबदेह ठहराने के लिए अवश्य ही एकजुट होने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र स्थित भारतीय मिशन में राजदूत एवं भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि के. नागराज नायडू ने कहा कि यमन में मानवाधिकार गंभीर संकट में है। उन्होंने यमन पर एक बैठक में इस बात पर जोर दिया कि इसका समाधान राजनीतिक है, जिसे एक व्यापक एवं समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया के जरिए ही हासिल किया जा सकता है।

 

यमन की राजधानी सना पर विद्रोहियों के कब्जा करने के कुछ महीनों बाद से सऊदी अरब नीत एक गठबंधन हूती विद्रोहियों से संघर्ष कर रहा है। नायडू ने कहा, ‘‘यमन में व्यापक राजनीतिक संघर्ष पर चर्चा करने के दौरान देश के कुछ हिस्सों में आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकवादी तत्वों की मौजूदगी तथा लोगों पर उनके लगातार हमलों से निपटने की जरूरत है। '' उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए एक खतरा है और आतंकवादी मानवाधिकारों के सबसे बड़े हननकर्ता हैं। नायडू ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सभी पक्षों को हिंसा छोड़ देना चाहिए और यथाशीघ्र संयुक्त घोषणापत्र को अंतिम रूप देने के लिए विशेष दूत के साथ सहयोग करना चाहिए। इसके अंत में हम 2018 के स्टॉकहोम समझौता और 2019 के रियाद समझौता को लागू करने की अपील करेंगे।

 

आखिरकार राजनीतिक वार्ता के जरिए शांति एवं सुरक्षा कायम करना ही यमन में एकमात्र रास्ता है। बता दें कि स्टॉकहोम समझौता, यमन में संघर्ष में शामिल विभिन्न पक्षों के बीच एक स्वैच्छिक समझौता है। नायडू ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की सख्त निंदा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यमनी महिलाओं, बालिकाओं और बच्चों ने इस संघर्ष में बड़ी कीमत चुकाई है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे फौरन खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने यमन में अकाल के खतरे को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि देश के लोग अत्यधिक खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। बता दें कि संघर्ष में इस साल के पहले 9 महीने में 3,000 से अधिक बच्चे मारे गए हैं और 1,500 लोग हताहत हुए हैं।

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