तो ये है ज्वाइंट पेट्रोलिंग का कारण !

Edited By ,Updated: 22 Jul, 2016 05:22 PM

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पाक अधिकृत कश्मीर यानि (पीओके) के बॉर्डर से सटे इलाकों में शि‍नजियांग में पीएलए के फ्रंटियर रेजिमेंट और पाकिस्तान के बॉर्डर

पाक अधिकृत कश्मीर यानि (पीओके) के बॉर्डर से सटे इलाकों में शि‍नजियांग में पीएलए के फ्रंटियर रेजिमेंट और पाकिस्तान के बॉर्डर पुलिस के जवानों ने चीन-पीओके बॉर्डर पर पेट्रोलिंग की। चीनी अखबार पीपुल्स डेली इस इलाके को 'चीन-पाकिस्तान बॉर्डर' कह रहा है जबकि शिनजियांग की सीमा केवल पीओके से लगती है। दोनों देशों को अचानक ज्वाइंट पेट्रोलिंग की जरुरत क्यों पड़ गई ? इस सवाल का जवाब भी खोज लिया गया है। पता चला है कि 100 से अधिक उइगर इस अशांत क्षेत्र से गायब हो गए हैं।

क्यों हो गए गायब ?
ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन-पाकिस्तान के जवानों ने ज्वाइंट पेट्रोलिंग की है। जबकि चीन के सैनिक क्षेत्र में 2014 से ही गश्त कर रहे हैं। हालांकि इस पेट्रोलिंग की आधिकारिक तौर जानकारी तो नहीं दी गई है, लेकिन यह पेट्रोलिंग ऐसे समय में शुरू हुई है जब पता चला कि 100 से अधिक उइगर मुस्लिम शिन्यिांग से आईएसआईएस में शामिल होने के लिए भाग गए हैं। 

नाराजगी का कारण
उइगर मुस्लिम लोगों की सरकार से क्यों नाराजगी है इसके बारे में द न्यू अमेरिका फाउंडेशन की रिपोर्ट में बताती है कि कुछ मुस्लिम प्रथाओं को यहां प्रतिबंधित कर दिया गया है। दूसरा, सरकार के सख्त नियंत्रण ये वहां के लोगों में नाराजगी है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वैसे भी देश के मुसलमानों से कह चुके हैं कि वे अपने धर्म का पालन चीन के समाज और निर्देश के तहत करें। इन प्रतिबंधों में दाढ़ी बढ़ाना और रमजान के दौरान रोजे पर रोक आदि हैं।

कौन हैं उइगर ?
चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र के शिंजियांग प्रांत में इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग रहते हैं। इस प्रांत की सीमा एक या दो नहीं, मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है। तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से अधिक है। यहां उनकी आबादी बहुसंख्यक थी, लेकिन जब से चीनी समुदाय हान की संख्या बढ़ी है और सेना की तैनात कर दी गई है तब से स्थिति बदल गई है।

क्यों है चीनी सरकार के साथ तनाव ?
इस प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' चला रहे हैं, इसका मकसद चीन से अलग होना है। वर्ष 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान को एक अलग राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी, लेकिन उसी साल यह चीन का हिस्सा बन गया। यही अब शिनजियांग प्रांत है। सन 1990 में सोवियत संघ के पतन के बाद इस क्षेत्र की आजादी के लिए यहां के लोगों ने काफी संघर्ष किया। कई मुस्लिम देशों का समर्थन भी मिला था, लेकिन चीनी सरकार के आगे किसी की नहीं चली।

आंदोलन दबाने का प्रयास
इस क्षेत्र में हान चीनियों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है। माना जाता है कि सरकार हान चीनियों को शिनजियांग में इसीलिए भेज रही है, ताकि उइगरों के आंदोलन 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' को दबाया जा सके। शिनजियांग प्रांत में रहने वाले हान चीनियों को मजबूत करने के लिए  सरकार हर संभव मदद देती है। यहां नौकरियों में उन्हें ऊंचे पदों पर बिठाया जाता है और उइगुरों को दोयम दर्जे की नौकरी दी जाती हैं।  

हिंसक झड़पें भी हुईंं
हान चीनियों और उइगरों के बीच टकराव भी होते रहते हैं। वर्ष 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हुई हिंसा में 200 लोग मारे गए जिनमें ज्यादातर हान चीनी थे। इसके बाद 2009 में उरुमची में ही हुए दंगों में 156 उइगुर मुस्लिम मारे गए थे। उस समय तुर्की ने इसकी कड़ी निंदा की थी। फिर 2010 में भी कई हिंसक झड़पें हुईं। वर्ष 2012 में छह लोगों को हाटन से उरुमची जा रहे एयरक्राफ्ट को हाइजैक करने की कोशिश के लिए गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इसमें उइगरों का हाथ बताया। वर्ष 2013 में प्रदर्शन कर रहे 27 उइगरों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई। 

आरोप-प्रत्यारोप
चीनी सरकारी मीडिया हिंसा के लिए उइगरों का संगठन 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' दोषी ठहराता है। उइगर नेता और उनका संगठन इन सभी आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताता है। उन्होंने इन मामलों के लिए चीनी सरकार दोषी कहा है। 

खदेड़ने का दावा
चीन का खास मित्रदेश पाकिस्तान दावा करता है कि अशांत मुस्लिम बहुल प्रांत शिजियांग से आए सभी उइगर अलगाववादियों को उसने अपनी जमीन से उइगर मुसलमानों को पूरी तरह खदेड़ दिया है। यदि कुछ बच गए होंगे तो उनकी संख्या काफी कम होगी।

संभवत: चीन की सरकार को आशंका है कि इन सौ उइगर मुसलमानों के बाद अन्य भी वहां से भाग कर आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल हो सकते हैं। इसीलिए वह नाकेबंदी के लिए पाकिस्तान के साथ उसकी सेना पीओके बॉर्डर पर पेट्रोलिंग पर है।

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