तीन तलाक से भी ज्यादा भयानक हैं ये इस्लामी प्रथाएं

Edited By prachi upadhyay,Updated: 01 Aug, 2019 02:32 PM

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तीन तलाक से तो हिन्दुस्तान की मुस्लिम महिलाओं को आज़ादी मिल गई, पर उन इस्लामी प्रथाओं से कब मिलेगी जिसमें उनकी अस्मत को बार-बार तार-तार कर दिया जाता है। मुस्लिमें समाज की यह प्रथाएं तीन तलाक से भी ज्यादा भयानक हैं। चलिए आपको एक कहानी सुनाते हैं,

Rituals In Islam : तीन तलाक से तो हिन्दुस्तान की मुस्लिम महिलाओं को आज़ादी मिल गई, पर उन इस्लामी प्रथाओं से कब मिलेगी जिसमें उनकी अस्मत को बार-बार तार-तार कर दिया जाता है। मुस्लिमें समाज की यह प्रथाएं तीन तलाक (Teen Talaq Kanoon) से भी ज्यादा भयानक हैं। चलिए आपको एक कहानी सुनाते हैं, कहानी है सलीम और सलमा की...सलीम और सलमा मियां बीवी हैं। कुछ सालों बाद बच्चा न होने के कारण सलीम ने सलमा को तलाक दिया। इसके बाद जब सलमा ने कहा की मैं कहां जाउंगी तो सलीम उससे दुबारा निकाह करने के लिए तैयार हो गया।। मगर इसके लिए सलमा को अब हलाला करना होगा,  हलाला यानि पति से दुबारा निकाह करने से पहले किसी और मर्द के साथ निकाह करना होगा। बीवी के सारे फ़र्ज़ निभाने होंगे, हमबिस्तर होना होगा। फिर उसके तलाक तलाक तलाक बोलने का इंतज़ार करना होगा। इसके बाद कहीं जाकर वो अपने पहले पति के साथ दुबारा निकाह कर पाएगी। सलमा ने हलाला किया, जिसमें उसकी शादी उसके ही ससुर के साथ करा दी गई। ससुर ने 10 दिन तक हलाला के नाम पर अपनी बहु का दिन में कई-कई बार बलात्कर किया और फिर उसे तलाक दे दिया। तलाक के बाद सलीम ने सलमा से निकाह कर लिया। मगर इसके बाद भी ससुर द्वारा बलात्कार और पति द्वारा मारपीट सलमा के साथ 6 सालों तक चलती रही। 6 साल के बाद फिर से सलीम ने सलमा को तलाक दे दिया। और इस बार उससे निकाह करने के लिए अपने भाई के साथ हलाला करने को कहा। जब सलमा नहीं मानी तो उसे 3 दिन तक कमरे में भूखे प्यासे बंद कर दिया। लेकिन इस बार सलमा दृढ़ थी। वो हलाला के लिए नहीं मानी और सीधे पुलिस के पास पहुंच गई, अपने साथ हुई ज्यादतियों की दास्तां बताने। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले को बलात्कार का केस बनाते हुए शिकायत दर्ज़ ली। यहां पात्रों के नाम तो काल्पनिक हैं मगर कहानी वास्तविक।

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सलमा के साथ हुई यह ज्यादतियां तो पुलिस तक पहुंच गई। मगर ऐसी ही ना जाने कितनी सलमा हैं जिनकी अस्मत को हलाला के नाम पर हलाल कर दिया जाता है। मुस्लिम समाज में प्रचलित इस प्रथा में अक्सर मौलवियों के साथ महिला का निकाह कराया जाता है। इसके लिए मौलवी बीस हज़ार से लेकर एक-डेढ़ लाख रूपये तक ऐंठते हैं। फिर जब उनका मन करता है तब उस औरत को तलाक देते हैं। कई बार तो हलाला करवाने के बाद भी पुराना पति अपनी बीवी से दुबारा निकाह करने से इंकार कर देता है।हलाला के नाम पर इस्लामी औरतों की इज्जत तार-तार होती रहती है। सोचिये कैसी होगी वो औरत जो हर रोज इस डर में जीती है कि कहीं उसका शौहर उसे तलाक..तलाक...तलाक बोलकर छोड़ ना दे और फिर उसी पति के साथ उसे दुबारा निकाह करने के लिए उसे हलाला के नाम पर हलाल ना होना पड़ जाए।

ऐसा लगता है जैसे मुस्लिम समाज के यह क़ानून एकतरफा हैं। किसी ऐसे आदमी ने बनाये हैं जो जन्मों जन्मों से औरतों का दुश्मन रहा है। तीन तलाक, हलाला बहुविवाह जिसमें मुस्लिम आदमियों को बिना पहली बीवी को तलाक दिए कितनी भी शादियां करने का हक़ है।

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ये तो वो इस्लामी प्रथाएं हैं जो शादियों से सम्बंधित हैं। इनके अलावा एक और प्रथा है जिसका नाम है खतना। इस्लाम में होनेवाली इस प्रथा से लड़के और लड़कियों दोनों को गुजरना पड़ता है। कतना होता क्या है?  मुस्लिम नवजात शिशु का खतना बचपन में ही किया जाता है। जिसमें आमतौर पर नवजात बच्चों के लिंग के ऊपर की चमड़ी काटकर अलग की जाती है। यह रिवाज़ भारत समेत अन्य कई अरब और यूरोपीय देशों में भी निभाया जाता है। मात्र एक रेजर ब्लेड से लड़कियों के जननांगों का खतना करने वाली महिलाओं का कहना है कि 'अगर लड़कियों का खतना नहीं किया जाता है तो वे आदमियों के पीछे भागने वाली वेश्याएं बन जाती हैं। इसलिए बचपन में ही उनका क्लाइटोरिस काट दिया जाता है। लड़कियों का खतना किशोरावस्था से पहले यानी छह-सात साल की छोटी सी उम्र में ही करा दिया जाता है। इसको करने के कई तरीके हैं जैसे-

इस्लामी प्रथाएं (Islami Rituals)

  1.  क्लाइटोरिस के बाहरी हिस्से में कट लगाना या इसके बाहरी हिस्से की त्वचा को निकाल देना
  2. खतना से पहले एनीस्थीसिया भी नहीं दिया जाता। बच्चियां पूरे होशोहवास में रहती हैं और दर्द से चीखती हैं.
  3. पारंपरिक तौर पर इसके लिए ब्लेड या चाकू का इस्तेमाल करते हैं। खतना के बाद हल्दी, गर्म पानी और छोटे-मोटे मरहम लगाकर दर्द कम करने की कोशिश की जाती है।
  4. हिंदुस्तान में इस प्रथा का चलन बोहरा मुस्लिम समुदाय में है. भारत में बोहरा आबादी आमतौर पर गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में रहती है।
  5. 10 लाख से अधिक आबादी वाला यह समाज काफी समृद्ध है और दाऊदी बोहरा समुदाय भारत के सबसे ज्यादा शिक्षित समुदायों में से एक है।
  6. बोहरा समाज में ' क्लाइटोरिस' को 'हराम की बोटी' कहा जाता है।
  7. बोहरा मुस्लिम मानते हैं कि इसकी मौजूदगी से लड़की की यौन इच्छा बढ़ती है।
  8. उनका मानना है कि क्लाइटोरिस हटा देने से लड़की की यौन इच्छा कम हो जाती है, और वो शादी से पहले यौन संबंध नहीं बनाती।

 

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इस प्रथा की शिकार एक लड़की ने बताया, ‘मैं तक़रीबन सात साल की रही होऊंगी। मुझे ठीक से याद नहीं है. लेकिन, उस घटना की एक धुंधली सी तस्वीर मेरे जहन में आज भी मौजूद है।  मां मुझे अपने साथ लेकर घर से निकली और हम एक छोटे से कमरे में पहुंचे। जहां एक औरत पहले से बैठी थी। उसने मुझे लिटाया और मेरी पैंटी उतार दी। उस वक़्त तो ज़्यादा दर्द नहीं हुआ, बस ऐसा लगा जैसे कोई सुई चुभो रहा है। असली दर्द सब कुछ होने के बाद महसूस हुआ। बहुत दिनों तक पेशाब करने में बेहद तकलीफ़ होती थी। मैं दर्द से रो पड़ती थी। मैं जब बड़ी हुई तब मुझे पता चला की मेरा खतना किया गया था।‘उसने बताया कि, ‘खतना से औरतों को शारीरिक तकलीफ़ तो उठानी ही पड़ती है। तरह-तरह की मानसिक परेशानियां भी होती हैं। उनकी सेक्स लाइफ़ पर भी असर पड़ता है और वो उसे एंजॉय नहीं कर पाती।‘

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इस्लामी समाज में मौजूद ये प्रथाएं हर रूप में गलत है। मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है, पक्षपात है और ग़ैरकानूनी भी। हम उम्मीद करेंगे कि जिस तरह तीन तलाक पर क़ानून आया है. उसी तरह से हलाला और खतना जैसी प्रथाओं पर भी कानून लागू हो। जिसने बरसों से मुस्लिम महिलाओं को इन्ही के समाज में इंसान होने का हक़ छीन रखा है।  जहां उनके चरित्र और स्वाभिमान का कोई मोल नहीं। जहां वो एक वस्तु से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

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