ISRO : इन महिलाओं की वजह से भारत ने रचा इतिहास

Edited By ,Updated: 17 Feb, 2017 04:36 PM

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लांच करके नया इतिहास रचा है।  इसरो का अपना रिकॉर्ड एक अभियान में 20 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का है।

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लांच करके नया इतिहास रचा है।  इसरो का अपना रिकॉर्ड एक अभियान में 20 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का है। इसरो ने ये कारनामा 2016 में किया था। इस मंगल अभियान में कई महिला वैज्ञानिक जुड़ी हुई थी। वे रॉकेट छोड़े जाते समय कंट्रोल रूम में थीं और पल-पल होने वाली घटना पर नजर रखे हुए थीं।

ऋतु करीधल, डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर, मार्स ऑर्बिट मिशन
लखनऊ में पली-बढ़ी करीधल को बचपन में इस पर बहुत ताज्जुब होता था कि चांद का आकार कैसे घटता बढ़ता रहता है। मैं यह भी जानना चाहती थी कि चांद के काले धब्बों के पीछे क्या था। मास्टर्स की डिग्री के बाद उन्होंने इसरो में नौकरी के लिए आवेदन किया और इस तरह अंतरिक्ष वैज्ञानिक बन गई। वे 18 साल से इसरो में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कई बार कहा जाता है कि पुरुष मंगल के हैं और महिलाएं शुक्र की। पर मंगल अभियान के बाद कई लोगों ने कहा कि महिलाएं मंगल की हैं।

नंदिनी हरिनाथ, डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर, मार्स ऑर्बिट मिशन
हरिनाथ को अंतरिक्ष विज्ञान से पहला परिचय टेलीविजन पर साइंस फिक्शन स्टार ट्रेक से हुआ। उन्होंने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि मेरी मां गणित की शिक्षक और पिता इंजीनियर हैं। उन्होंने बताया कि यह पहली बार है जब उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन किया था और पास भी हो गई। उन्होंने कहा कि यह इसरो ही नहीं, पूरे देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। इसने हमें बिल्कुल दूसरे स्तर पर ला खड़ा किया, अब दूसरे देश हमसे मिल कर काम करना चाहते हैं। उन्होने कहा कि लोगों का नजरिया बदल गया है। लोग आपको वैज्ञानिक के रूप में मानने लगे हैं। मुझे इस पर खुशी होती है। हरिनाथ ने कहा कि रॉकेट छोडऩे के कुछ दिन पहले से हम घर नहीं गए। हमने कई रातें बगैर सोए ही गुजारी।

अनुराधा टीके, जीओसैट प्रोग्राम डायरेक्टर, इसरो सैटेलाइट सेंटर
इसरो की वरिष्ठतम महिला वैज्ञानिक की सीमा आकाश तक है। वे संचार उपग्रह अंतरिक्ष में छोडऩे की विशेषज्ञ हैं। वे 34 साल से इसरो में हैं और अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में तब से सोचने लगी जब वे सिर्फ 9 साल की थीं। अनुराधा को महिला वैज्ञानिकों का रोल मॉडल माना जाता है। अनुराधा ने कहा कि इसरो में लिंग कोई मुद्दा नहीं है और वहां नियुक्ति और प्रमोशन इस पर निर्भर है कि हम क्या जानते हैं और क्या कर सकते हैं। इसरो में महिला कर्मचारियों की तादाद लगातार बढ़ रही है, पर यह अभी भी आधे से काफी कम है।

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