Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Apr, 2018 11:23 AM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज अपना नेविगेशन सैटेलाइट (IRNSS-1I) लॉन्च कर दिया है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 4.04 बजे PSLV-C41 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। IRNSS-1I स्वदेशी तकनीक से...
नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज अपना नेविगेशन सैटेलाइट (IRNSS-1I) लॉन्च कर दिया है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 4.04 बजे PSLV-C41 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। IRNSS-1I स्वदेशी तकनीक से निर्मित नेविगेशन सैटेलाइट है।
INRSS-1I की खास बातें
- IRNSS-1I सैटेलाइट का वजन 1425 किलोग्राम है, इसकी लंबाई 1.58 मीटर, ऊंचाई 1.5 मीटर और चौड़ाई 1.5 मीटर है। इसे 1420 करोड़ रुपए में तैयार किया गया।
- IRNSS-1I से नेविगेशन के क्षेत्र में मदद मिलेगी, इसमें समुद्री नेविगेशन के साथ ही मैप और सैन्य क्षेत्र को भी मदद मिलेगी।
- IRNSS-1I को INRSS-1एच सैटलाइट की जगह पर छोड़ा गया, जिसका लॉन्च असफल रहा था।
- इसका मुख्य उद्देश्य देश और उसकी सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी के हिस्से में इसकी उपयोगकर्त्ता को सही जानकारी देना है।
- यह सैटलाइट मैप तैयार करने, समय सही पता लगाने, नैविगेशन की जानकारी, समुद्री नैविगेशन के अलावा सैन्य क्षेत्र में भी सहायता करेगा।
- इसमें L5 और S-band नैविगेशन पेलोड के साथ रुबेडियम अटॉमिक क्लॉक्स होंगी। यह इसरो की आईआरएनएसएस परियोजना की 9वीं सैटलाइट होगी।
उल्लेखनीय है कि नाविक (NavIC) के तहत इसरो के अभी तक 8 आईआरएनएसएस सैटलाइट छोड़े जा चुके हैं, इनमें IRNSS-1A, IRNSS-1B, IRNSS-1C, IRNSS-1D, IRNSS-1E, IRNSS-1D, IRNSS-1F, IRNSS-1G और IRNSS-1H शामिल हैं। इनमें IRNSS-1H को छोड़कर अन्य सभी लॉन्च सफल रहे थे।
बता दें कि इसरो ने 29 मार्च को जीसैट-6 ए उपग्रह लॉन्च किया था, लेकिन लॉन्चिंग के 48 घंटे बाद ही इसका संपर्क टूट गया था। इससे वैज्ञानिकों और सशस्त्र सेनाओं को काफी झटका लगा था। हालांकि इसरो ने इस नाकामी को भुला नैविगेशन सैटलाइट (IRNSS-1I) लॉन्च किया।