नाकामी को भुला नए लॉन्च की तैयारी में ISRO, जानिए क्या खास है INRSS-1I में

Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Apr, 2018 02:50 PM

isro ready for the new launching to forget the failure

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 मार्च को जीसैट-6 ए उपग्रह लॉन्‍च किया था, लेकिन लॉन्चिंग के 48 घंटे बाद ही इसका संपर्क टूट गया था। इससे वैज्ञानिकों और सशस्त्र सेनाओं को कापी झटका लगा था। हालांकि इसरो इस नाकामी को भूला अब अपने नए लॉन्च पर...

नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 मार्च को जीसैट-6 ए उपग्रह लॉन्‍च किया था, लेकिन लॉन्चिंग के 48 घंटे बाद ही इसका संपर्क टूट गया था। इससे वैज्ञानिकों और सशस्त्र सेनाओं को कापी झटका लगा था। हालांकि इसरो इस नाकामी को भूला अब अपने नए लॉन्च पर फोकस कर रहा है। इसरो अपना नैविगेशन सैटलाइट (IRNSS-1I) लॉन्च करने वाला है। 12 अप्रैल को इसरो इसे लॉन्च करेगा।

INRSS-1I  की खास बातें

  • इसे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 4 बजे PSLV-C41 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
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  • INRSS-1I को INRSS-1एच सैटलाइट की जगह पर छोड़ा जाएगा, जिसका लॉन्च असफल रहा था।
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  • इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटलाइट सिस्टम (INRSS) स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
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  • इसका मुख्य उद्देश्य देश और उसकी सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी के हिस्से में इसकी उपयोगकर्त्ता को सही जानकारी देना है।
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  • यह सैटलाइट मैप तैयार करने, समय सही पता लगाने, नैविगेशन की जानकारी, समुद्री नैविगेशन के अलावा सैन्य क्षेत्र में भी सहायता करेगा।
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  • इसमें L5 और S-band नैविगेशन पेलोड के साथ रुबेडियम अटॉमिक क्लॉक्स होंगी। यह इसरो की आईआरएनएसएस परियोजना की 9वीं सैटलाइट होगी।


उल्लेखनीय है कि नाविक (NavIC) के तहत इसरो के अभी तक 8 आईआरएनएसएस सैटलाइट छोड़े जा चुके हैं, इनमें IRNSS-1A, IRNSS-1B, IRNSS-1C, IRNSS-1D, IRNSS-1E, IRNSS-1D, IRNSS-1F, IRNSS-1G और IRNSS-1H शामिल हैं। इनमें IRNSS-1H को छोड़कर अन्य सभी लॉन्च सफल रहे थे।

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