Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Sep, 2018 08:15 AM
अंतरिक्ष विज्ञान में लगातार नए आयाम गढ़ता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और इतिहास रचने को तैयार है। इसरो की यह पूर्ण रूप से व्यावसायिक उड़ान होगी। इसके साथ कोई भी भारतीय उपग्रह नहीं भेजा जाएगा।
नई दिल्ली: अंतरिक्ष विज्ञान में लगातार नए आयाम गढ़ता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और इतिहास रचने को तैयार है। इसरो की यह पूर्ण रूप से व्यावसायिक उड़ान होगी। इसके साथ कोई भी भारतीय उपग्रह नहीं भेजा जाएगा। इसकी शुरूआत 16 सितम्बर 2018 को होगी जब भारतीय राकेट श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से 2 ब्रिटिश उपग्रहों के साथ उड़ान भरेगा।
इस कामयाबी के साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा जिसके पास विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने या भेजने की अपनी तकनीक मौजूद है। इसरो अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पी.एस.एल.वी. सी.-42 से दो ब्रिटिश उपग्रह नोवासार और एस 1.4 को धरती की कक्षा में स्थापित करेगा।