चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष में भेजने के लिए ISRO तैयार, लॉन्च पैड पर स्थापित करेगा 'रॉकेट

Edited By Yaspal,Updated: 08 Jul, 2019 05:00 AM

isro ready to launch chandrayaan 2 space in space

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 लॉन्चिंग में अब मात्र एक हफ्ते का समय बचा है। चंद्रयान-2 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एमके-III रोकेट से अंतरिक्ष में भेजा जाना है। इसके लिए रविवार...

नेशनल डेस्कः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 लॉन्चिंग में अब मात्र एक हफ्ते का समय बचा है। चंद्रयान-2 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एमके-III रोकेट से अंतरिक्ष में भेजा जाना है। इसके लिए रविवार को श्री हरिकोटा के लॉन्च पैड पर GSLV मार्क तीन को स्थापित किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर के सिवन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IIST) के सातवें दीक्षांत समारोह में कहा कि चंद्रयान-2 प्रक्षेपण यान के साथ एकीकृत कर दिया गया है, जिसे रविवार को लॉन्च पैड पर ले जाया जाएगा।
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के सिवन कहा कि चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्चिग के लिए तैयार किया गया है। मिशन की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए ऑपरेशनल तैयारियों की जांच 13 जुलाई को की जाएगी। अभी तक सबकुच हमारी बनाई योजना के अनुसार ही चल रहा है। के सिवन ने कहा, “चंद्रयान-2 के जरिए इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जा रहा है, जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है। अगर हम उस जोखिम को लेते हैं, तो वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को लाभ होगा। जोखिम और लाभ जुड़े हुए हैं।
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चंद्रयान-2 के विशेष रोवर ‘प्रज्ञान’ के लिए कई तकनीक आईआईटी कानपुर में तैयार की गई है। इसमें सबसे अहम है मोशन प्लानिंग। मतलब चांद की सतह पर रोवर कैसे, कब और कहां जाएगा। इसका पूरा खाका आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर केए वेंकटेश व मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर आशीष दत्ता ने मिलकर तैयार किया है।
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प्रो. दत्ता के मुताबिक अंतरिक्ष यान का द्रव्यमान 3.8 टन है। इसमें तीन अहम मॉड्यूल हैं ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान)। आईआईटी ने इसके मोशन प्लानिंग सिस्टम पर काम किया है। चन्द्रयान-2 के चांद पर उतरते ही मोशन प्लानिंग का काम शुरू हो जाएगा। इसके अलावा यान के संचालन में ज्यादा खर्च न हो इसके लिए भी वैज्ञानिकों ने काम किया है।
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भारत के लिए यह गौरव का बात है कि 10 साल में दूसरी बार चांद पर मिशन भेज रहा है। चंद्रयान-1 2009 में भेजा गया था। हालांकि, उसमें रोवर शामिल नहीं था। चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपैक्टर था जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा था। इसको चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था। चंद्रयान-1 भारत के 5, यूरोप के 3, अमेरिका के 2 और बुल्गारिया का एक पेलोड लेकर गया था।

 

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