इसरो के लिए शानदार रहा ये साल, 7 सफल लांचिंग की

Edited By Yaspal,Updated: 20 Dec, 2018 07:32 PM

it s been fantastic for isro this year 7 successful launches

वर्ष 2018 इसरो के लिए बेहद शानदार रहा है। इस साल इसरो ने 7 सफल लॉन्चिंग की हैं। ये आंकड़ा अगले साल कई गुना बढ़ जाएगा। इन सबसे भारतीय वायुसेना की ताकत भी कई गुना तक बढ़ी है। इसरो ने जीएसएलवी से...

नेशनल डेस्कः वर्ष 2018 इसरो के लिए बेहद शानदार रहा है। इस साल इसरो ने 7 सफल लॉन्चिंग की हैं। ये आंकड़ा अगले साल कई गुना बढ़ जाएगा। इन सबसे भारतीय वायुसेना की ताकत भी कई गुना तक बढ़ी है। इसरो ने जीएसएलवी से लगातार छठी सफल लॉन्चिंग की। जीएसएलवी-एफ 11 रॉकेट से देश के भूस्थिर संचार उपग्रह जीसैट-7ए को अंतरिक्ष के लिए रवाना किया गया। इस उपग्रह को लॉंन्चिंग के करीब 20 मिनट बाद अंतरिक्ष में अपनी तय कक्षा में पहुंचा दिया गया। यह उपग्रह वायुसेना की संचार प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाएगा।

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इसरो ने बताया कि जीएसएलवी-एफ11 चौथी पीढ़ी का प्रक्षेपणयान है। यह यान तीन चरणों वाला है। रॉकेट के प्रथम हिस्से में एक मोटर और ठोस ईधन हैं, दूसरे हिस्से में तरल ईंधन और उच्च क्षमता वाला इंजन है और तीसरे हिस्से में क्रायोजेनिक इंजन है। इसरो के चैयरमैन के. सिवान का कहना है कि 35 दिनों के भीतर श्रीहरिकोटा से इसरो का ययह तीसरा सफल प्रक्षेपण है।

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क्यों है जीसैट-7ए महत्वपूर्ण

  • जीसैट-7ए वायुसेना के एयरबेस को इंटरलिंक करने के अलावा ड्रोन ऑपरेशंस में भी मदद करेगा। फिलहाल भारत अभी अमेरिका में बने हुए प्रीडेटर-बी या सी गार्डियन ड्रोन को हासिल करने की कोशिश कर रहा है। सैटेलाइट कंट्रोल के जरिए ये ड्रोन अधिक ऊंचाई पर दुश्मन पर हमला करने की क्षमता रखता है। 
  • 500-800 करोड़ रुपये की लागत में तैयार हुई इस सैटेलाइट में 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं। जिनकी मदद से 3.3 किलोवाट बिजली पैदा की जा सकती है। इसके साथ ही इसमें कक्षा में आगे पीछे जाने या ऊपर जाने के लिए बाई-प्रोपेलैंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम भी दिया गया है। इससे पहले इसरो ने जीसैट-7 सैटेलाइट को लॉन्च किया था। इसे रुकमिणि नाम से जाना जाता है।
  • 29 सितंबर 2013 में लॉन्च हुई यह सैटेलाइट नेवी के युद्धक जहाजों, पनडुब्बियों और वायुयानों को संचार की सुविधाएं प्रदान करती हैं। आने वाले समय में वायुसेना को जीसैट-7 सी मिलने के भी आसार हैं।
  • जीसैट-7ए से लंबी दूरी में मौजूद किसी भी एयरक्राफ्ट और पोत का पता लगाया जा सकेगा।
  • इसरो बाकी सैटेलाइट, ग्राउंड स्टेशन के रडार और भारतीय समुद्री क्षेत्र के स्टेशन की कवरेज को बढ़ाया जा सकेगा। 
  • इस साल इसरो ने सात लॉन्चिंग की हैं और अगले साल में चंद्रयान-2 समेत 32 लॉन्चिंग तक करेगा। इसमें जीसैट-7ए की लॉन्चिंग भी शामिल है। हाल ही में 35 दिनों के भीतर कुल चार मिशन लॉन्च हुए हैं। इनमें 14 नवंबर को जीएसएलबी मार्क-3 डी-2 से जीसैट-29 लॉन्च
  • हुआ।
  • 29 नवंबर को पीएसएलबी सी-43 से हाइसिस लॉन्च हुआ। 19 दिसंबर को जीएसएलवी  एफ-11 से जीसैट-7ए लॉन्च हुआ और 5 दिसंबर को फ्रेंच गुयाना (विदेशी जमीन से) जीसैट-11 की लॉन्चिंग हुई। 

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इस वक्त धरती के चारों ओर दुनियाभर की करीब 320 मिलिटरी सैटेलाइट चक्कर काट रही हैं। जिनमें से अधिकतर अमेरिका की हैं, इसके बाद इस मामले में रूस और चीन का नंबर आता है और अब भारत भी तैयार हो रहा है। 
 

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