Edited By Pardeep,Updated: 06 Aug, 2019 10:52 AM
सरकार लोकसभा चुनाव से पहले गत फरवरी में ही अनुच्छेद-370 को हटाने की तैयारी कर चुकी थी मगर पुलवामा हमले की वजह से सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। जेश-ए-मोहम्मद द्वारा 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले में 40 जवान मारे गए...
नेशनल डेस्क: सरकार लोकसभा चुनाव से पहले गत फरवरी में ही अनुच्छेद-370 को हटाने की तैयारी कर चुकी थी मगर पुलवामा हमले की वजह से सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। जेश-ए-मोहम्मद द्वारा 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले में 40 जवान मारे गए थे और स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी।
सूत्रों के अनुसार तब भाजपा प्रमुख अमितशाह, वित्तमंत्री अरुण जेटली, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के बीच हुई बैठक में यह सहमति बनी थी। गृहमंत्रालय से तैयारी के लिए भी कह दिया गया था। बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों को भेजा जाना था। विधिक विशेषज्ञों से राय ली जा रही थी। योजना यह थी कि चुनाव से पहले अनुच्छेद-370 को हटाने की घोषणा की जाए। मगर पुलवाम हमले ने प्राथमिकताएं बदल दी।
लद्दाख के लिए भी एक साल से उठ रहे थे कदम
जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करने के कदम सरकार ने एक साल पहले से ही उठाने शुरू कर दिए थे। अमित शाह द्वारा पेश किए गए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल-2019 के अनुसार लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा।
ये तीन कदम उठाए गए
1. हिल डेवलपमेंट काउंसिल का गठन
सितंबर-2018 में सरकार ने हिल डेवलपमेंट काउंसिल का गठन कर लद्दाख को और स्वायत्तता दे दी थी। इसका प्रावधान जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक की मंजूरी से किया था। इसके तहत स्थानीय स्तर पर जमा होने वाला टैक्स जम्मू-कश्मीर सरकार के खाते में न जाकर इस काउंसिल के खाते में जाने लगा था।
2. अलग लद्दाख मंडल
इस साल फरवरी में प्रशासन ने लद्दाख को अलग मंडल बना दिया था। यहां डिविजनल कमिश्नर और एक आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी की तैनाती की गई थी। लद्दाख को अलग मंडल बनाना यहां अलग प्रशासनिक तंत्र बनाने की तैयारी थी।
3. केंद्र से सीधा फंड
यह तीसरा बड़ा कदम था जब पिछले साल से केंद्र प्रायोजित योजनाओं का फंड सीधे लद्दाख के खाते में जाने लगा था। यह राज्य सरकार को नहीं भेजा जा रहा था।