टोक्यो क्वाड सम्मेलन में जयशंकर बोले- 'क्वाड देशों में सहयोग से ही हिंद-प्रशांत में सुनिश्चित हो सकती है स्वतंत्रता और स्थिरता'

Edited By Radhika,Updated: 29 Jul, 2024 12:23 PM

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को टोक्यो में 'क्वाड' देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में संबोधन के दौरान अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि, ‘‘सिर्फ हमारे बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर,...

नेशनल डेस्क: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को टोक्यो में 'क्वाड' देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में संबोधन के दौरान अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि, ‘‘सिर्फ हमारे बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बना रहे।’’ उन्होंने ने कहा, ‘‘इसलिए यह जरूरी है कि हमारी राजनीतिक समझ मजबूत हो, हमारी आर्थिक साझेदारी आगे बढ़े, हमारे बीच प्रौद्योगिकी सहयोग का विस्तार हो और हमारे लोगों के आपसी रिश्ते गहरे हों। हमारी बैठक से यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि ‘क्वाड’ लंबे समय तक टिकने और आगे बढ़ने के लिए है।’’ 

इस बैठक में जयशंकर के अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापान की विदेश मंत्री योको कामिकावा और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने भी हिस्सा लिया । जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी बैठक से यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि ‘क्वाड’ टिके रहने, काम करने और आगे बढ़ने के लिए है।’’ 

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जयशंकर ने कहा, ‘‘यह आसान समय नहीं है। एक बड़ी चुनौती वैश्विक आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करना है, साथ ही इसे जोखिम मुक्त करना भी है। आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाने पर उसी तरह ध्यान केंद्रित करना है, जैसे हम विश्वसनीय और पारदर्शी डिजिटल साझेदारी के लिए प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के विकास ने असाधारण आयाम हासिल कर लिए हैं, जिससे हमारे जीने, सोचने और काम करने के तरीके में बहुत संभावनाएं पैदा हो गई हैं। एक तरह से हम पुनः वैश्वीकरण के दौर में हैं।’’अपनी बात को जारी रखते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘यह केवल हमारे सामूहिक प्रयास ही हैं, जो अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को मानव-निर्मित या प्राकृतिक व्यवधानों से बचा सकते हैं।’’   

जानकारी के लिए बता दें कि साल 2017में क्वाड की स्थापना भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया द्वारा की गई है। इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करना था । 

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