जेतली ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना

Edited By vasudha,Updated: 06 Jul, 2018 07:01 PM

jaitley attack on congress about freedom of expression

केन्द्रीय मंत्री अरूण जेतली ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर आज कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘टुकड़े-टुकड़े’ आंदोलन का यह कहते हुए समर्थन किया था...

नेशनल डेस्क: केन्द्रीय मंत्री अरूण जेतली ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर आज कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘टुकड़े-टुकड़े’ आंदोलन का यह कहते हुए समर्थन किया था कि यह ‘ बोलने की जायज आजादी’ है जबकि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ‘अखण्ड भारत ’ की पैरवी को बाधित करने के लिए संविधान में संशोधन कर दिया था। भारतीय जन संघ के संस्थापक अश्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के मौके पर केन्द्रीय मंत्री ने यह बात कही। 

मुखर्जी थे अखण्ड भारत के प्रमुख पैरोकार
जेतली ने ब्लॉग में लिखा कि भारत में कई लोग ऐसे थे जो विभाजन के विचार के ही खिलाफ थे। इसका विरोध करने वाले प्रमुख लोगों में निश्चित तौर पर मुखर्जी भी थे। उन्होंने लिखा कि मुखर्जी अखण्ड भारत के प्रमुख पैरोकार थे। अप्रैल 1950 में जब ‘ नेहरू-लियाकत ’ समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना था तो उससे दो दिन पहले डा. मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया था। वह देश के पहले मंत्रिमण्डल में हिन्दू महासभा के प्रतिनिधि के रूप में शामिल थे और उद्योग मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे थे। उन्होंने ‘ नेहरू-लियाकत ’ समझौते के खिलाफ कड़ा सार्वजनिक रूख अपनाया था। मुखर्जी ने संसद के भीतर और बाहर इस समझौते के विरोध में काफी कुछ बोला और ‘अखण्ड भारत’ के बारे में अपने दर्शन को समझाया।

ब्लाग में पण्डित नेहरू पर साधा निशाना 
ब्लाग में लिखा कि पण्डित नेहरू ने डा.मुखर्जी की आलोचना पर जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया की। लिहाजा उन्होंने सरदार पटेल से इस बात पर विचार करने को कहा कि क्या कार्रवाई की जा सकती है। संविधान विशेषज्ञों से विचार विमर्श करने के बाद सरदार पटेल की राय थी कि वह मुखर्जी को संविधान के तहत उनके अखण्ड भारत के विचार का प्रसार करने से नहीं रोक सकते। यदि प्रधानमंत्री उन्हें इससे रोकना चाहते हैं तो उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए जो संविधान संशोधन का विधेयक लाया गया उसमें अन्य देशों के साथ मित्रतापूर्ण सम्बन्धों को लेकर पाबंदी का प्रावधान था। यह विधेयक एच वी कामथ, आचार्य कृपलानी , मुखर्जी और नजीरूद्दीन अहमद के विरोध के बावजूद पारित हो गया।  जेटली के अनुसार क्या यह मुखर्जी और उनकी विचारधारा के प्रति असहिष्णुता थी जिसने इस संविधान संशोधन को आगे बढ़ाया।

70 सालों में भारत में स्थिति में हुआ बदलाव 
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले 70 सालों में भारत में स्थिति में बदलाव हुआ है जब पंडित नेहरू ने संविधान में संशोधन किया क्योंकि ‘ अखण्ड भारत ’ की मांग से युद्ध को बढ़ावा मिल सकता है लिहाजा इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में छात्रों के एक समूह ने ‘ भारत तेरे टुकड़े होंगे ’ जैसे भारत विरोधी नारे लगाये थे। इसे लेकर कुछ छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इस घटना के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जेएनयू जाने की भाजपा ने आलोचना की थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि राहुल गांधी के जेएनयू परिसर जाने के कारण कांग्रेस को र्शिमन्दा होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्या राष्ट्र विरोधी नारों को अभिव्यक्ति की आजादी कहा जा सकता है। 
 

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