जेटली का कांग्रेस पर वार, इतिहास बताएगा कश्मीर पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सही थे या नेहरू

Edited By Seema Sharma,Updated: 03 Jan, 2019 04:10 PM

jaitley attack on congress over kashmir

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पर बोलते हुए कहा कि पिछले साढ़े चार साल में कश्मीरियों में अलगाववाद की भावना बढ़ी है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद के बयान पर जवाब देते हुए जेटली

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पर बोलते हुए कहा कि पिछले साढ़े चार साल में कश्मीरियों में अलगाववाद की भावना बढ़ी है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद के बयान पर जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि अगर कांग्रेस आरोप-प्रत्यारोप के खेल से इतिहास में की गई अपनी किसी गलती को साफ करना चाहती है, तो ऐसा मुमकिन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास बताएगा कश्मीर पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सही थे या पंडित नेहरू।आजाद ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने को लेकर केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इस पर जेटली ने कहा कि कश्मीर समस्या कांग्रेस की गलत नीतियों का नतीजा है और कांग्रेस को इससे कभी मुक्ति नहीं मिलेगी।
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आजाद का वार
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद जम्मू-कश्मीर में बाकी देश के प्रति अलगाववाद की भावना बढ़ी है। आजादी की लड़ाई और घाटी को भारतीय संघ में मिलाने में कश्मीरी लोगों की बड़ी भूमिका है। इसे समझना चाहिए कि जिन लोगों ने पाकिस्तानी फौज को खदेड़ा था वे हिन्दुस्तान से नाराज क्यों हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कश्मीर के लोगों की पीड़ा को समझती है जबकि मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियां कश्मीर के लोगों के खिलाफ है। आजाद ने केंद्र सरकार पर अलगाव बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों का कश्मीर से निकलना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। वास्तव में कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है। कश्मीर में इस्लाम 600 साल पहले आया है। इसलिए कश्मीर में पंडितों और मुसलमानों का खून एक है और भाजपा इसे अलग अलग करने का प्रयास कर रही है।

सरकार का पलटवार

  • आजाद के इस आरोप पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा कि कश्मीर में जिस अलग अस्तित्व की कल्पना की गई थी वो 70 साल में अलगाववाद की तरह बढ़ी है। तब कांग्रेस ने वादे तो कर दिए लेकिन इसकी कीमत देश को कई बरसों तक भुगतनी पड़ी।
  • जेटली ने 1957, 1962, 1967 में जम्मू-कश्मीर में चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि सभी को पता है कि तब इलेक्शन कैसे होते थे, उस समय के चुनावों पर काफी कुछ लिखा भी गया है। कांग्रेस को वो सब नहीं भूलना चाहिए और ऐसी राजनीति करके आज कहा जा रहा है कि कश्मीर में पिछले साढ़े चार में अलगाववाद की भावना बढ़ी है।
  • 1986 में शेख अब्दुल्ला से समझौते के बाद 1989 तक कश्मीर में जो हुआ, उस दौरान ही अलगाववाद की भावना सबसे ज़्यादा बढ़ी।
  • जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई है। वहां की स्थानीय पार्टियों को आतंकवाद और अलगाववाद से निपटने के लिए मतभेदों के बावजूद कुछ बातों पर सहमत होना होगा।
  • 2010 के जिस समय को कांग्रेस कश्मीर का गोल्डन पीरियड कह रही है, उस दौरान पथराव शुरू हुआ। यह अलगाववादी नेताओं की नीति थी, जिन्होंने कश्मीर के नौजवानों को हथियारों में बदल दिया।
  • इतिहास जब भी फैसला करेगा कि जम्मू-कश्मीर पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का दृष्टिकोण सही था या पंडित जवाहरलाल नेहरू का, तो आपको (कांग्रेस) बहुत तकलीफ होगी। आपको इतिहास की किसी गलती से मुक्ति नहीं मिल पाएगी।'
  • हमें मिलकर कश्मीर के भविष्य पर बात करनी होगी ताकि आरोप-प्रत्योप के चक्र से बाहर निकलकर राज्य के विकास के बारे में सोच-विचार करना होगा।

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