Edited By vasudha,Updated: 22 Jun, 2018 05:17 PM
जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर बहस के बीच केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेतली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बाला है। जेतली ने आरोप लगाया कि वैचारिक रूप से भले ही विघटनकारी समूहों के खिलाफ हो लेकिन इन...
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर बहस के बीच केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेतली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बाला है। जेतली ने आरोप लगाया कि वैचारिक रूप से भले ही विघटनकारी समूहों के खिलाफ हो लेकिन इन तत्वों ने अब राहुल गांधी के दिल में जगह बना ली है।
केन्द्रीय मंत्री ने आज लिखे अपनी फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि कुछ अधिकारवादी संगठन भूमिगत संगठनों के सार्वजनिक मंच बन गये हैं तथा कांग्रेस एवं कुछ अन्य पार्टियों को ऐसे विघटनकारी तत्वों से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और उनके जैसी पार्टियों के राजनीतिक रोमांचकारी ऐसे समूहों में राजनीतिक अवसरों की तलाश में रहते हैं। ये मानवाधिकार संगठन दरअसल भूमिगत संगठनों का सार्वजनिक चेहरा होते है और उनके तंत्र में जीवन, समानता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कोई जगह नहीं होती है।
जेटली ने कांग्रेस के नेतृत्व पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं हैदराबाद में विघटनकारी नारे लगाने वालों के बीच जाने से कोई परहेज नहीं है। इस प्रकार की प्रारंभिक सफलता के बाद तमाम तथाकथित संघीय मोर्चे इस प्रकार के संगठनों से भारत एवं लोकतंत्र को खतरों को भूल गये हैं। उन्होंने माओवादी उग्रवादियों और जेहादी तत्वों के बीच बढ़ते समन्वय पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की गलत कश्मीर नीति का सबसे बड़ा खामियाकाा घाटी के नागरिकों ने भुगता है।
वरिष्ठ नेता ने मानवाधिकारों के मुद्दे पर लिखा कि जम्मू कश्मीर में नागरिकों के मानवाधिकारों को कौन खतरा पैदा कर रहा है। समूचा पंडित समुदाय राज्य में बेदखल कर दिया गया। बाद में 2000 में छत्तीसिंहपुरा कांड में सिखों को बाहर कर दिया गया। आज ज्यादातर लोग घाटी से पलायन कर गये हैं जो राज्य में बहुमत के समुदाय होते थे। उन्होंने कहा कि जम्मू- कश्मीर के अधिकतर मुस्लिम नागरिक भी अलगाववाद को पसंद नहीं करते हैं।