Edited By Tanuja,Updated: 02 Jun, 2019 04:10 PM
उच्च शिक्षा के दौरान किताबों का बोझ, रोज-रोज के असाइनमेंट, परीक्षाओं का दबाव आदि की वजह से अक्सर छात्र तनाव में आ जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में पीएचडी कर रहे एक भारतीय छात्र के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ
सिडनीः उच्च शिक्षा के दौरान किताबों का बोझ, रोज-रोज के असाइनमेंट, परीक्षाओं का दबाव आदि की वजह से अक्सर छात्र तनाव में आ जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में पीएचडी कर रहे एक भारतीय छात्र के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। आस्ट्रेलिया में एक भारतीय छात्र कुलदीप मान (52) ने दावा किया कि उन्होंने साल 2015 में टाउनविले कैंपस में सोशल साइंस (सामाजिक विज्ञान) पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन किया था ।
इसके लिए उन्होंने 20,000 डॉलर यानी करीब 14 लाख रुपए का भुगतान किया लेकिन जब उन्होंने दो विषयों के साथ अपना पाठ्यक्रम शुरू किया, तो विश्वविद्यालय ने साहित्यिक चोरी के आधार पर उनके एडमिशन (प्रवेश) को रिजेक्ट (अस्वीकार) कर दिया और उन्हें बताया कि वह कसौटी पर खरा नहीं उतरे हैं।एक अंग्रेजी वेबसाइट mensxp.com के मुताबिक उन्होंने बताया कि अगर विश्वविद्यालय ने मेरे साथ इस तरह का छल नहीं किया होता, मेरा करियर बर्बाद नहीं किया होता तो अब तक मेरे पास पीएचडी की डिग्री होती।
कुलदीप मान ने आगे बताया कि विश्वविद्यालय की वजह से मेरा सब कुछ प्रभावित हुआ। यहां तक कि मुझे अब अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने की भी इच्छा नहीं होती। मैं बहुत तनाव में रहता हूं। मेरे साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।मान ने इसके लिए अब क्वींसलैंड में स्थित जेम्स कुक विश्वविद्यालय पर 3 मिलियन डॉलर यानी करीब 20 करोड़ 90 लाख रुपये का मुकदमा ठोका है। उनका दावा है कि विश्वविद्यालय ने उन्हें इतना तनाव दिया है कि उसकी वजह से उन्होंने शारीरिक संबंध बनाने की अपनी क्षमता ही खो दी है।
कुलदीप मान ने क्वींसलैंड के सुप्रीम कोर्ट में 20 पन्नों का एक दस्तावेज पेश किया है, जिसमें उन्होंने अपनी संभावित खोई हुई आय और मानसिक यातना के तौर पर नुकसान का दावा किया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया है कि इस मानसिक यातना की वजह से मेरे पार्टनर से मेरा संबंध टूटने के कगार पर है। मान ने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें न्याय जरूर मिलेगा और उनके सारे नुकसान की भरपाई होगी।