अनुच्छेद 370 के बाद, अब कौन सा बड़ा फैसला लेंगे PM मोदी?

Edited By Anil dev,Updated: 17 Aug, 2019 01:51 PM

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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पूरे देश में इस बात पर चर्चा हो रही है कि अब देश के प्रधानमंत्री का अगला कदम क्या हो सकता हैैं। जिसके कुछ सबूत भी देश के प्रधानमंत्री ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से दे भी दिए...

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पूरे देश में इस बात पर चर्चा हो रही है कि अब देश के प्रधानमंत्री का अगला कदम क्या हो सकता हैैं। जिसके कुछ सबूत भी देश के प्रधानमंत्री ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से दे भी दिए हैं। जी हां, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से ऐलान किया कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी तीनों सेनाओं के एक सेनापति की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसे आजादी के बाद भारत में डिफेंस के सबसे बड़े रिफॉर्म के तौर पर देखा जा रहा है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस बनाने का सुझाव 20 साल पहले आया था और अब तक सहमति न बन पाने की वजह से यह नहीं हो पाया। चार सवालों से समझें आखिर इस पद की जरूरत क्यों महसूस हुई?

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भारत को जनरल नंबर 1 की जरूरत क्यों?
सरकार को एक सूत्री सैन्य सलाह मुहैया कराने के साथ-साथ देश के सामरिक संसाधनों और परमाणु हथियारों के बेहतर प्रबंधन के लिए देश को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की जरूरत है। इसके साथ-साथ थल सेना, नौसेना और वायु सेना में इससे तालमेल के अलावा सेवा से जुड़े सैद्धांतिक मसलों, योजना और ऑपरेशनल समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलेगी। वहीं, लंबे समय की रक्षा योजनाओं की तैयारी और इंतजाम में भी इससे सहायता मिल सकती है। इसके अलावा सर्विस हेडक्वॉर्टर और रक्षा मंत्रालय के सामंजस्य से जनता और सैन्य बलों के बीच दूरी घटेगी।


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इतिहास क्या कहता है?
1999 के करगिल युद्ध के बाद मंत्रियों के समूह की एक रिपोर्ट में सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पोस्ट की मजबूती से सिफारिश की गई थी। इसे थल सेना और एयर फोर्स के बीच अनबन के तौर पर देखा गया। जीओएम रिपोर्ट में कहा गया कि स्टाफ कमिटी के वर्तमान प्रमुखों ने एकसूत्री रणनीतिक सलाह मुहैया कराने में गंभीर कमजोरी का खुलासा किया। हालांकि इसके बाद तीनों सेनाओं के कई संगठन अस्तित्व में आए लेकिन सीडीएस ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। 2012 में नरेश चंद्र टास्क फोर्स ने भी सीडीएस के थोड़ा हल्के रूप चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी की जरूरत जताई. 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल शेकटकर कमिटी ने तीन सेनाध्यक्षों के अलावा एक नए 4 स्टार जनरल के तौर पर चीफ कोऑर्डिनेटर की सलाह दी।


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दुनिया का परिदृश्य कैसा है?
मिलिटरी प्लानिंग में एकीकरण और ऑपरेशन के लिए 70 से ज्यादा देशों में सीडीएस जैसा पद है। इन देशों की फेहरिस्त में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं। अमेरिका में जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ सर्वोच्च सैन्य अधिकारी का पद है, जो राष्ट्रपति का मुख्य सैन्य सलाहकार होता है। हालांकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले यूनाइटेड कॉम्बैट कमांड के मुखिया भी राजनीतिक नेतृत्व को सीधे रिपोर्ट करते हैं। चीन ने 2016 में अपनी 23 लाख सैनिकों वाली पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को पांच थिअटर कमांड में तब्दील कर दिया।

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भारत को थिअटर कमांड क्यों चाहिए?
जॉइंट कमांड किफायती होने के साथ ही संसाधनों को बचाती है. इसके अलावा जल, थल और आकाश में सम्मिलित अभियान के दौरान सैन्य बलों को तैयार करने में यह प्रभावी है। भारत में कुल 17 सिंगल सर्विस कमांड हैं। इनमें आर्मी और एयर फोर्स की 7-7 और नेवी की 3 कमांड शामिल हैं। दूसरी ओर देश के पास सिर्फ 2 जॉइंट कमांड हैं. इनमें से एक अंडमान और निकोबार कमांड (थिअटर) और दूसरी स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड है, जो परमाणु हथियारों की निगरानी से जुड़ी है। जी हां, कुल मिलाकर माना ये जा रहा है कि अगर तीनों सेनाओं का अगर एक सेनापति हो जाता है तो संवाद की प्रक्रिया में लगने वाला समय ना सिर्फ कम होगा बल्कि डिफेंस सेवा में भी क्रमवद्ध तरीके से विकास होगा। वहीं, क्योंकि अब देश को एक कदम आगे बढ़कर सोचने की जरूरत है वहीं, जरूरत इस बात की भी है कि अब हमें विकसित देशों की ओर भी देखना है ताकि हम अपने देश की तरक्की के साथ साथ सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम कर सके।

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