जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल राज्यसभा से पास, पक्ष में पड़े 125 वोट

Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Aug, 2019 07:17 PM

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पेश किया। ऊपरी सदन में इस बिल पर वोटिंग हुई। राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास हो गया है। बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 61 वोट...

नई दिल्लीः गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पेश किया। ऊपरी सदन में इस बिल पर वोटिंग हुई। राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास हो गया है। बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि विरोध में 61 वोट पड़े। अब यह बिल लोकसभा में जाएगा। वहां, मोदी सरकार आराम से इस बिल को पास करा सकती है। 


इससे पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में बड़ा फैसला लेते हुए अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पेश किया, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। अब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। अनुच्छेद 370 हटने से राज्य का पुनर्गठन होगा, जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाएगा, जहां चंडीगढ़ की तरह विधानसभा नहीं होगी। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 35 ‘ए' को समाप्त करने के लिए आज अधिसूचना जारी कर दी। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड ‘एक' के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए और राज्य सरकार की सहमति से अनुच्छेद 35 ‘ए' यानि संविधान (जम्मू कश्मीर के संदर्भ में) आदेश 1954 को समाप्त कर दिया है। 


अनुच्छेद 370 क्या है?
370 जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। इसके तहत भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है। इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है।

 

370 के तहत जम्मू कश्मीर के पास थे विशेष अधिकार

  • धारा 370 के तहत संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार थी।
  • अलग विषयों पर कानून लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती थी।
  • जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था।
  • शहरी भूमि कानून (1976) भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था।
  • जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे।
  • 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार था।

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क्या है अनुच्छेद 35ए ?
वर्ष 1952 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला (तब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था) और भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बीच ‘दिल्ली समझौता’ हुआ था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की जनता को भी भारतीय नागरिक मान लिया गया। 14 मई, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आदेश पारित कर अनुच्छेद 35ए को भारतीय संविधान में जोड़ दिया। यह  जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है। अनुच्छेद 35ए के अनुसार, जम्मू-कश्मीर विधानमंडल को अधिकार है कि वह तय कर सकती है कि राज्य का स्थायी निवासी कौन है? इसके अलावा नौकरियों में विशेष आरक्षण, राज्य में संपत्ति खरीदने का अधिकार, विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार, छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता समेत किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा यह अनुच्छेद तय करता है। 35ए में यह भी प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार किसी कानून को अपने अनुसार बदलती है तो उसे किसी कोर्ट में चुनौती नही दी जा सकती। पेश है इसके प्रमुख अंशः  
 

  • यह अनुच्छेद किसी गैर-कश्मीरी को कश्मीर में जमीन खरीदने से रोकता है।
  • भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू- कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं बन सकता है।
  • जम्मू-कश्मीर राज्य की कोई महिला अगर किसी अन्य भारतीय प्रदेश के लड़के से शादी करती है तो उसे राज्य से मिले नागिरक अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी समाप्त कर दिया जाता है।
  • यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों के साथ भेदभाव करता है। एक तरफ इस अनुच्छेद चलते भारत के अन्य प्रदेशों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासी बन सकते जबकि पाकिस्तान से आये घुसपैठियों को नागरिकता दे दी गई।
  • इस विवादास्पद कानून के चलते ही हाल ही में म्यांमार से कश्मीर में आए रोहिंग्या मुसलमानों को भी कश्मीर में बसने की इज़ाज़त दे दी गई।


नायडू  ने आजाद को दिया नोटिस
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति एम वैंकेया नायडु ने कहा कि ग़ृह मंत्री जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2019 को पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सहित कई विपक्षी सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री द्वारा पेश संकल्प तथा विधेयक एक साथ चर्चा करायी जायेगी और इस दौरान नोटिस देने वाले सदस्य अपनी बात रख सकते हैं।

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पीएम आवास पर चली थी बैठक
इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी के आवास पर कैबिनेट बैठक हुई। बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल मौजूद रहे। वहीं इससे पहले शाह प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचे और पीएम मोदी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ मुलाकात की।इससे पहले रविवार को भी अमित शाह ने गृह सचिव राजीव गौबा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संसद भवन परिसर में घंटे भर चली इस हाईलैवल मीटिंग में सतर्कता ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।  

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महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला नजरबंद
जम्मू-कश्मीर में जारी तनाव के बीच पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को रविवार देर रात नजरबंद कर दिया गया। सज्जाद लोन को भी नजरबंद करने की सूचना है। यही नहीं कांग्रेस नेता उस्मान माजिद और माकपा नेता एम.वाई. तारिगामी को गिरफ्तार कर लिया गया। घाटी में धारा 144 लगा दी गई है और 10 जिलों में से 9 में एहतियात के तौर पर मोबाइल तथा इंटरनैट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। इसके अलावा स्कूल और कालेजों को भी बंद किया गया। राज्य में सचिवालय, पुलिस मुख्यालय, एयरपोर्ट और अन्य संवेदनशील जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

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चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं। जम्मू में भी सी.आर.पी.एफ. की 40 टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य को जम्मू, कश्मीर और लद्दाख कुल 3 भागों में विभक्त करने की भी अनौपचारिक चर्चा फिजाओं में गूंज रही है। इसी बीच महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, हालात मुश्किल हैं लेकिन कोई हमारी प्रतिबद्धता को तोड़ नहीं पाएगा।

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