जानिए, क्यों मचा है देश में अनुच्छेद 35ए पर घमासान? क्या हैं इसके विशेष प्रावधान

Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 30 Jul, 2019 02:58 PM

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केंद्र सरकार ने बीते शनिवार को 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों की जम्मू-कश्मीर में तैनाती के आदेश दिए थे। इस आदेश के सार्वजनिक होने के बाद जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भूचाल आ गया।

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बीते शनिवार को 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों की जम्मू-कश्मीर में तैनाती के आदेश दिए थे। इस आदेश के सार्वजनिक होने के बाद जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भूचाल आ गया। उमर अब्दुल्ला के बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत विभिन्न कश्मीर केंद्रित पार्टियों ने इस कदम का विरोध तेज कर दिया है। केंद्र के इस कदम को वे 35ए हटाने की पूर्व तैयारी से जोड़कर देख रहे हैं। वहीं, भाजपा का कहना है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी लोगों में बेवजह डर पैदा करने की कोशिश कर रही है। वहीं, भाजपा इसे विधानसभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा बता रही है।

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अनुच्छेद 35ए पर जारी अटकलों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने हाल में ही श्रीनगर का दौरा किया था। वहां पहुंचकर उन्होंने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, स्थानीय पुलिस व सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। यह भी 35ए पर चर्चाएं जोर पकड़ने का एक बड़ा कारण रहा।

क्या है अनुच्छेद 35ए

वर्ष 1952 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला (तब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था) और भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बीच ‘दिल्ली समझौता’ हुआ था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की जनता को भी भारतीय नागरिक मान लिया गया। 14 मई, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आदेश पारित कर अनुच्छेद 35ए को भारतीय संविधान में जोड़ दिया। यह  जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है। अनुच्छेद 35ए के अनुसार, जम्मू-कश्मीर विधानमंडल को अधिकार है कि वह तय कर सकती है कि राज्य का स्थायी निवासी कौन है? इसके अलावा नौकरियों में विशेष आरक्षण, राज्य में संपत्ति खरीदने का अधिकार, विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार, छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता समेत किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा यह अनुच्छेद तय करता है। 35ए में यह भी प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार किसी कानून को अपने अनुसार बदलती है तो उसे किसी कोर्ट में चुनौती नही दी जा सकती। पेश है इसके प्रमुख अंशः  

  • यह अनुच्छेद किसी गैर-कश्मीरी को कश्मीर में जमीन खरीदने से रोकता है।
  • भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू- कश्मीर का स्थायी निवासी नही बन सकता है।
  • जम्मू-कश्मीर राज्य की कोई महिला अगर किसी अन्य भारतीय प्रदेश के लड़के से शादी करती है तो उसे राज्य से मिले नागिरक अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी समाप्त कर दिया जाता है।
  • यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों के साथ भेदभाव करता है। एक तरफ इस अनुच्छेद चलते भारत के अन्य प्रदेशों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासी बन सकते जबकि पाकिस्तान से आये घुसपैठियों को नागरिकता दे दी गई।
  • इस विवादास्पद कानून के चलते ही हाल ही में म्यांमार से कश्मीर में आए रोहिंग्या मुसलमानों को भी कश्मीर में बसने की इज़ाज़त दे दी गई।

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 क्यों होती है अनुच्छेद 35ए को हटाने की मांग

अनुच्छेद 35ए को हटाना भाजपा समेत कई रक्षा से जुड़े जानकार देश की एकता-अंखड़ता के लिए इसे जरूरी मानते हैं। उनकी दलील है कि

  • इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था।
  • भारत विभाजन के समय बड़ी संख्या में पाकिस्तानी शरणार्थी भारत आए थे। इनमें से लाखों जम्मू-कश्मीर में बस गए और उन्हें वहां नागरिकता भी दे दी गई। लेकिन जिन्हें नागरिकता से वंछित रखा गया इनमें 80 फीसद लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय से हैं।  
  •  जम्मू-कश्मीर में विवाह कर बसने वाली महिलाओं और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ भी राज्य सरकार अनुच्छेद 35ए की आड़ में भेदभाव करती है।

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मौजूदा समय में कौन है जम्मू-कश्मीर का नागरिक

जम्मू-कश्मीर का संविधान 1956 में बनाया गया था। इसके अनुसार राज्य का वह व्यक्ति ही स्थायी नागरिक है जो 14 मई, 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर इससे10 वर्ष पूर्व से राज्य में रह रहा हो या राज्य में उसकी कोई संपत्ति हो।

 

 

 

 

 

 

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