जम्मू-कश्मीर: आखिर 36 के आंकड़े में क्यों बदली 36 महीने की दोस्ती

Edited By Anil dev,Updated: 19 Jun, 2018 04:50 PM

jammu kashmir bjp pdp alliance lok sabha

आखिरकार जम्मू कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की दोस्ती टूट गई।  विधानसभा चुनाव के बाद जब बीजेपी ने पीडीपी को समर्थन देकर सरकार में शामिल होने का फैसला लिया था तो हर कोई हैरान था।  वजह साफ थी कि दोनों पार्टियों की विचारधारा एक दूसरे से रत्ती भर भी मेल...

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): आखिरकार जम्मू कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की दोस्ती टूट गई।  विधानसभा चुनाव के बाद जब बीजेपी ने पीडीपी को समर्थन देकर सरकार में शामिल होने का फैसला लिया था तो हर कोई हैरान था।  वजह साफ थी कि दोनों पार्टियों की विचारधारा एक दूसरे से रत्ती भर भी मेल नहीं खाती थी। पीडीपी पर जहां अलगाववादी समर्थक होने के आरोप थे वहीं बीजेपी पर मुस्लिम या कश्मीर विरोधी होने का लेवल चस्ंपा हुआ था, लेकिन इसके बावजूद जब दोनों ने सरकार बनाई तो निश्चित तौर पर यह उस वक्त का सबसे बड़ा अजूबा था। पहले ही दिन से लोग कहने शुरू हो गए थे कि यह सरकार लम्बी नहीं चलेगी।  और आज वही हुआ। बीजेपी ने रमजान सीजफायर समाप्त होते ही पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया।  इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती सरकार का पतन हो गया और अब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का रास्ता साफ है।  फिलवक्त ऐसा कोई भी समीकरण सामने नहीं है कि  फिर से वहां बिना चुनाव सरकार बने। 
PunjabKesari
क्या है दलीय स्थिति 
बात अगर जम्मू कश्मीर की दलीय स्थिति की करें तो इस समय पीडीपी के 28 और बीजेपी के 25 विधायक हैं।  नेशनल कांफ्रेंस के पास 15  और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। समूचे विपक्ष को जोड़कर 34 एमएलए बनते हैं जबकि सत्ता पक्ष के पास 53 थे। कुल 87 सीटें हैं और दो महिलाएं नामित एमएलए हैं। सरकार बनाने के लिए कम से कम 44 एमएलए चाहिए होते हैं।
PunjabKesariक्यों लिया फैसला ?
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर बीजेपी ने यह फैसला क्यों लिया? माना जा रहा है कि घाटी के हालात लगातार बिगड़ते देख बीजेपी ने यह फैसला लिया है। बीजेपी कश्मीर के हालात को लेकर  विपक्ष के निशाने पर थी और देश के आम जनमानस में भी यह अवधारणा बन रही थी कि  घाटी की हिंसा संभालने में बीजेपी कामयाब नहीं हो रही। दूसरी तरफ बीजेपी को भी लगने लगा था कि सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम के बाद घाटी के ताज़ा हालात उसके लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। यही वजह रही कि बीजेपी ने सरकार से किनाराकशी कर ली। सूत्रों की मानें तो रमजान सीजफायर की घोषणा के फैसले के दौरान ही यह फैसला ले लिया गया था कि अगर हालात नहीं सुधरे तो सरकार से बाहर का रास्ता अपना लिया जायेगा।  रमजान के दौरान सेना की बंदूकें तो खामोश रहीं लेकिन आतंकियों को सर उठाने का मौका मिल गया। पूरे महीने में सौ से अधिक आतंकी हमले हुए जिनमे से 26 ग्रेनेड हमले भी थे। करीब 46 लोगों की इस दौरान मौत हुई, लेकिन मामला तब बिगड़ा जब ईद के दिन राइजिंग कश्मीर नामक अखबार के संपादक शुजात बुखारी की सरेआम हत्या कर दी गई। शुजात को भारत सरकार का समर्थक माना जाता है और वे केंद्र की राह कश्मीर में शांति बहाली के समर्थक थे। उनके सगे भाई महबूबा मंत्रिमंडल में मंत्री भी थे। शुजात की हत्या के लिए लश्कर को जिम्मेवार माना जा रहा है।  
PunjabKesariएक चर्चा यह भी 
बीजेपी ने भले ही हिंसा को समर्थन वापसी का सबब बताया है लेकिन एक दूसरी चर्चा भी है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह बीजेपी का सोचा समझा मूव है।  बीजेपी लोकसभा के साथ जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराना चाहती है। इसलिए उसने  समय का ध्यान रखकर ही यह फैसला लिया। वैसे अब चर्चा यह भी चल निकली है कि ऐसा ही दांव बीजेपी मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी चल सकती है। वहां विधानसभाएं भंग कराकर इसे अंजाम दिया जा सकता है। बीजेपी के आंतरिक सर्वे के मुताबिक मोदी अभी भी लोकसभा के लिए टॉप चॉइस हैं।  ऐसे में बीजेपी मोदी की किश्ती में  कुछ राज्यों की सरकारें भी समेटकर ले जाने की फिराक में है।  
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!