Edited By Anil dev,Updated: 25 Feb, 2019 08:35 AM
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद डीएसपी अमन ठाकुर को पुलिस बल में शामिल होने और पुलिस की वर्दी पहनने का जुनून था। वह दो सरकारी नौकरियां छोड़ पुलिस में शामिल हुए थे।
श्रीनगर,: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद डीएसपी अमन ठाकुर को पुलिस बल में शामिल होने और पुलिस की वर्दी पहनने का जुनून था। वह दो सरकारी नौकरियां छोड़ पुलिस में शामिल हुए थे। ठाकुर की उम्र करीब 40 साल थी। पहली नौकरी उन्हें समाज कल्याण विभाग में मिली थी। इसके बाद वह एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरर बने। के पद पर नियुक्त हुए थे, जो जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री के कारण मिली थी। पुलिस विभाग में उनके एक करीबी मित्र ने बताया कि ठाकुर हमेशा से ही पुलिस बल में शामिल होना चाहते थे।
जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे ठाकुर
डोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले ठाकुर 2011 बैच के जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे। अब उनके परिवार में बुजुर्ग माता-पिता और पत्नी सरला देवी तथा छह साल के बेटे आर्य हैं। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह इस युवा पुलिस अधिकारी के साथ अपनी कई मुलाकातों को याद करते हुए अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके। सिंह ने कहा, ‘वह हमेशा जोश से लबरेज रहते और सामने से अपनी टीम का नेतृत्व करते।’ जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ठाकुर की शहादत पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने उनके परिजन के प्रति अपनी सहानुभूति और एकजुटता जताई।
कई तिमाही से जीत रहे थे बहादुरी का पुरस्कार
दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले में उनके कार्यकाल के दौरान ठाकुर कई तिमाही से बहादुरी का पुरस्कार जीत रहे थे। अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए हाल में वह डीजीपी पदक एवं प्रशंसा पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। उनकी बहादुरी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनके साहस के लिए उन्हें शेर-ए-कश्मीर वीरता पदक से सम्मानित किया गया। उनके मित्र उन्हें उनकी सादगी, साफगोई और पेशेवर अंदाज के लिए याद करते हैं।