Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 04:08 PM
अपनी बहादुरी के लिए पहचाने जाने वाले सी-60 कमांडो पुलिस के जवान गोमजी मत्तामी का एक बार फिर नक्सलियों से आमना-सामना हो गया। चार माओवादी हमलावरों ने अचानक उन पर हमला कर दिया जिसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीे मानी....
नेशनल डेस्क: अपनी बहादुरी के लिए पहचाने जाने वाले सी-60 कमांडो पुलिस के जवान गोमजी मत्तामी का एक बार फिर नक्सलियों से आमना-सामना हो गया। चार माओवादी हमलावरों ने अचानक उन पर हमला कर दिया जिसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीे मानी। हमले में घायल होने के बावजूद भी गोमजी हथियारबंद माओवादियों से खाली हाथ भिड़ गए और उन्हे भगाने के लिए मजबूर कर दिया। 33 वर्षीय गोमजी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी उम्र से ज्यादा मुठभेड़ों में हिस्सा लिया है।
गढ़चिरौली हेडक्वार्टर्स में तैनात गोमजी रविवार को अपनी पुलिस पोस्ट की ओर लौट रहे थे। इस दौरान सादे कपड़ों में चार माओवादियों की एक ऐक्शन टीम ने उन्हें घेर लिया। गोमजी के अनुसार हमलावरों ने उन्हे बाएं हाथ से पकड़कर जमीन पर गिरा दिया। उनमें से एक ने गन निकालकर ट्रिगर दबाया लेकिन फायर नहीं हुआ। इस दौरान माओवादियों ने हमला कर उनकी एके-47 छीन ली। सीने में घाव होने के बावजूद भी गोमजी ने हिम्मत नहीं हारी और वह बाजार में भाग रहे हमलावरों का पीछा करते रहे। आखिरकार चारों माओवादियों को अपना हथियार छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गोमजी की हिम्मत की न सिर्फ पुलिस विभाग में तारीफ हो रही है बल्कि इसके लिए अगले साल उन्हें वीरता पुरस्कार भी मिल सकता है। फिलहाल वह औरेंज सिटी अस्पताल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट अस्पताल में भर्ती हैं। गोमजी के अनुसार अगर हमलावर की पिस्टल अटकी न होती तो आज उनकी जान जा सकती थी।