PAK के लिए सिरदर्द बना चीन की मदद से बनाया JF-17 थंडर, IAF के मुकाबले फिसड्डी साबित

Edited By Tanuja,Updated: 07 Mar, 2021 01:38 PM

jf 17 fighter jet an absolute failure  could opt for j 10s instead

चीन के सहयोग से पाकिस्तान में विकसित जेएफ-17 थंडर युद्धक विमान अब उसके लिए  मुसीबत साबित हो रहा है। पाकिस्तान का चीनी JF-17 "थंडर" लड़ाकू विमान जिसे कम लागत, हल्के वजन  के साथ ऑल-वेदर मल्टी-रोल फाइटर माना जाता था...

इंटरनेशनल डेस्कः चीन के सहयोग से पाकिस्तान में विकसित जेएफ-17 थंडर युद्धक विमान अब उसके लिए  मुसीबत साबित हो रहा है। पाकिस्तान का चीनी JF-17 "थंडर" लड़ाकू विमान जिसे कम लागत, हल्के वजन  के साथ ऑल-वेदर मल्टी-रोल फाइटर माना जाता था, आधुनिक हथियार प्रणालियों की तुलना में अपने हाई ऑपरेशन और रखरखाव लागत के कारण अब पाक के लिए एक सिरदर्द बन गया है। 1999 में पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त रूप से JF-17 "थंडर" के विकास और निर्माण के लिए एक समझौता किया था। उन्होंने विकास लागत को साझा करने का भी फैसला किया था।

 

पाकिस्तान को लगा  था किजेएफ-17 थंडर युद्धक विमान  Su-30MKI, Mig-29 और Mirage-2000 के बराबर होगा। इसे "पश्चिमी एवियोनिक्स से लैस और रूसी क्लिमोव आरडी 93 एयरोइन से संचालित" माना जाता था।  लेकिन पेंटापोस्टाग्मा की रिपोर्ट के अनुसार इस विमान की क्षमता को एविओनिक्स, हथियारों और उसके इंजन के प्रदर्शन पर आंका गया। लेकिन JF-17 इनमें से ज्यादातर पॉइंट्स में फेल ही साबित हुआ। इतना ही नहीं 27 फरवरी, 2019 को भारतीय वायु सेना की तरफ से एक पाकिस्तानी आतंकवादी समूह को निशाना बनाने की कोशिश के दौरान, JF-17 ने IAF मिराज -2000 और SU-30 के खिलाफ बेहद ही खराब प्रदर्शन किया था।

 

पेंटापोस्टाग्मा ने कहा, "एयर डिफेंस रोल में ये स्वदेशी लिंक -17 डेटा लिंक न केवल अविश्वसनीय है, इसमें पर्याप्त डेटा ट्रांसफर रेट भी नहीं है और इसे विमान की वास्तविक गति क्षमता देने के लिए F-16 फाइटर लिंक-16 के साथ कभी भी इंटीग्रेटेड नहीं किया जा सकता है।"  बता दें कि  इस योजना का मकसद इन विमानों का बेड़ा भारत खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करना था। इन युद्धक विमानों के भारत से मुकाबले का मौका आया 27 फरवरी, 2019 में, जब भारत ने पाकिस्तान के आंतकवादी ठिकानों पर हमला किया और उस समय भारत के मिराज-2000 और एसयू-30 के मुकाबले ये विमान कहीं भी नहीं ठहरे। भारतीय विमानों के सामने ये विमान भागते नजर आए। इन विमानों की पाकिस्तान पर संकट के समय उपयोगिता जरा भी सिद्ध नहीं हो सकी।

 

युद्ध के समय सेवाओं के मामले में सबसे पीछे रहने वाले विमानों के रखरखाव और ऑपरेशनों पर भी ज्यादा खर्च आ रहा है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आधुनिक हथियार प्रणालियों की तुलना में इन विमानों के रखरखाव पर ज्‍यादा लागत आ रही है। ऐसी स्थिति में पाक और चीन की संयुक्त रूप से बनाई गई यह योजना पाकिस्तान के लिए अच्छा-खासा परेशानी और खर्चे वाली बन गई है।  

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