सरकार में साथ रहे भाजपा-आजसू ने अलग चुनाव लड़ सत्ता गंवाई

Edited By Anil dev,Updated: 26 Dec, 2019 10:28 AM

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झारखंड में 5 वर्ष से सरकार में साथ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल इंडिया झारखंड स्टूडैंट्स यूनियन (आजसू) ने इस बार विधानसभा चुनाव अलग लड़कर न सिर्फ एक-दूसरे को 13 सीटों पर नुक्सान पहुंचाया बल्कि सत्ता भी गंवा दी।विधानसभा के चुनाव में इस बार...

रांची: झारखंड में 5 वर्ष से सरकार में साथ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल इंडिया झारखंड स्टूडैंट्स यूनियन (आजसू) ने इस बार विधानसभा चुनाव अलग लड़कर न सिर्फ एक-दूसरे को 13 सीटों पर नुक्सान पहुंचाया बल्कि सत्ता भी गंवा दी।विधानसभा के चुनाव में इस बार अकेले अपने दम पर उतरी भाजपा 37 से 25 पर और आजसू 5 से 2 सीटों पर आ गई। अलग-अलग चुनाव लडऩे का खामियाजा दोनों दलों को उठाना पड़ा। दोनों ने राज्य की 13 सीटों पर एक-दूसरे के वोट काट कर अपने विरोधी महागठबंधन के उम्मीदवार की जीत आसान कर दी। इन 13 सीटों का लाभ यदि 5 साल तक सरकार में साथ रहे भाजपा-आजसू को मिल जाता तो इनकी सीटों की संख्या 40 हो जाती, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़े 41 से सिर्फ एक ही कम होती। इतना ही नहीं, कई अन्य सीटों पर जहां भाजपा और आजसू के उम्मीदवार कम मतों के अंतर से हार गए, वहां गठबंधन होने पर दोनों दलों के कार्यकत्र्ताओं का साथ मिलता तो इन दोनों को और अधिक सीटें मिल सकती थीं। आजसू के वोट काटने के कारण भाजपा नाला, जामा, गांडेय, घाटशिला, जुगसलाई, खिजरी, मधुपुर, चक्रधरपुर और लोहरदगा सीटें हार गई, वहीं भाजपा के वोट काटने के कारण आजसू के उम्मीदवार बड़कागांव, रामगढ़, डुमरी और इचागढ़ में पराजित हो गए। 

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भाजपा पर भारी पड़े क्षेत्रीय दल
 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली अभूतपूर्व सफलता तथा उसके बाद राज्यों में एक के बाद एक उसकी जीत से देश में दो दलीय व्यवस्था कायम होने के कयास लगने शुरू हो गए थे लेकिन इस वर्ष हुए चुनावों में क्षेत्रीय दलों ने दिखाया कि उनकी प्रासंगिकता खत्म नहीं हुई है तथा वे राष्ट्रीय दलों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम हैं। इस वर्ष लोकसभा के अलावा 7 राज्य विधानसभाओं के चुनाव हुए जिनमें क्षेत्रीय दलों ने अपनी उपस्थिति प्रमुखता के साथ दर्ज कराई। 


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सहयोगियों को नजरअंदाज करने की वजह से झारखंड में हारी भाजपा : संजय सिंह
पटना  (इंट): झारखंड में भाजपा की करारी हार के बाद अब उसके सहयोगी ही उसे नसीहत देने लगे हैं। राजग में शामिल जदयू ने झारखंड के नतीजों पर कहा कि भाजपा की हार की वजह उसका क्षेत्रीय सहयोगियों के प्रति असहयोगी रवैया है। जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि भाजपा चुनाव में न तो छोटे सहयोगियों को साध पाई और न ही अपनी पार्टी को। दूसरी तरफ  झामुमो की अगुवाई में महागठबंधन एकजुट बना रहा और जीत हासिल की। संजय सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह साफ है कि अगर भाजपा झारखंड में झामुमो की अगुवाई वाले विपक्ष के खिलाफ  सहयोगियों को साथ ले एकजुट होकर लड़ी होती तो वह नहीं हारती। हमें उम्मीद है कि भाजपा इन नतीजों की समीक्षा करेगी और आने वाले बिहार चुनाव में झारखंड जैसी गलती को नहीं दोहराएगी। 

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