ऐतिहासिक दस्तावेजों से बड़ा खुलासा, जिन्ना ने गांधी पर कभी भरोसा नहीं किया!

Edited By Pardeep,Updated: 03 Oct, 2019 02:34 AM

jinnah never trusted gandhi more than historical documents reveal

मोहम्मद अली जिन्ना ने कभी भी महात्मा गांधी पर भरोसा नहीं किया, भले ही उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में उनके नाम का प्रस्ताव किया था। एक किताब और ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है। गांधी ने कई बार प्रस्ताव दिया था कि...

नई दिल्ली: मोहम्मद अली जिन्ना ने कभी भी महात्मा गांधी पर भरोसा नहीं किया, भले ही उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में उनके नाम का प्रस्ताव किया था। एक किताब और ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है। गांधी ने कई बार प्रस्ताव दिया था कि जिन्ना को स्वतंत्र भारत की पहली अंतरिम सरकार का नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने इसे वायसराय माऊंटबेटन को और कैबिनेट मिशन को भी प्रस्तावित किया था। 

वायसराय की डायरी के अनुसार, जिसे ‘माऊंटबेटन पेपर्स’ के रूप में दस्तावेजीकृत किया गया है, उसमें लिखा है, ‘‘1 अप्रैल, 1947 को गांधी नए वायसराय से मिले...गांधी ने जिन्ना को प्रधानमंत्री पद की पेशकश की।’’ 

कागजात के अनुसार,गांधी ने कहा कि समाधान यह था कि जिन्ना को मुस्लिम लीग के सदस्यों के साथ केंद्रीय अंतरिम सरकार बनाने के लिए कहा जाना चाहिए लेकिन माऊंटबेटन ने गांधी से कहा कि वह जवाहर लाल नेहरू के साथ चर्चा करना चाहते हैं। जब नेहरू ने वायसराय से मुलाकात की, तो उन्होंने भी महात्मा गांधी द्वारा सुझाई गई बात का समर्थन किया। 

लेकिन कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अपने एक लेख में यह तर्क दिया है कि यह प्रस्ताव स्वतंत्रता-पूर्व के दौर में अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए था। हालांकि, स्टेनली वोल्पर द्वारा लिखित जिन्ना की जीवनी ‘जिन्ना ऑफ पाकिस्तान’ के अनुसार, गांधी ने यह पेशकश पहले भी की थी लेकिन जिन्ना ने गांधी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि उन्हें हमेशा से गांधी पर विश्वास नहीं था।

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