Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 May, 2018 08:13 PM
जेएनयू छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि यह महज किसी व्यक्ति की ‘गुमशुदगी ’ का मामला है क्योंकि अब तक ऐसे ‘कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं ’ जिससे पता चले कि अपराध हुआ है। एक साल पहले यह मामला...
नई दिल्ली : जेएनयू छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि यह महज किसी व्यक्ति की ‘गुमशुदगी ’ का मामला है क्योंकि अब तक ऐसे ‘कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं ’ जिससे पता चले कि अपराध हुआ है। एक साल पहले यह मामला जांच के लिये सीबीआई को सौंपा गया था।
जांच एजेंसी ने पिछले साल 16 मई को मामला अपने हाथ में लिया था। उसने उच्च न्यायालय को बताया कि मामले में किसी को गिरफ्तार करने या अहमद के लापता होने के मामले में संदिग्ध नौ छात्रों के खिलाफ अनिवार्य कार्रवाई को लेकर इस वक्त उसके पास ऐसे कोई सबूत नहीं है।
जांच एजेंसी ने न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ को बताया कि सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) चंडीगढ़ से संदिग्ध छात्रों के नौ में से छह मोबाइल फोन से जो डेटा मिले , उससे इनके (संदिग्ध छात्रों के) खिलाफ लगे आरोपों का दूर दूर तक किसी संबंध का कोई पता नहीं चलता।
सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया , ‘अभी हम इस स्थिति में नहीं हैं कि इस बात की पुष्टि कर सकें कि अपराध हुआ भी है या नहीं।’ जांच एजेंसी ने बताया कि सीएफएसएल चंडीगढ़ तीन मोबाइल फोन की जांच नहीं कर सका , क्योंकि दो फोन क्षतिग्रस्त हालत में हैं और तीसरे में पैटर्न लॉक लगा हुआ है , जिसे अनलॉक नहीं किया जा सका। सीबीआई ने बताया कि इन तीनों फोन को हैदराबाद स्थित इसके सीएफएसएल में भेजा जाएगा , जहां उम्मीद है कि इनकी जांच हो सकेगी।