जज लोया मौत केसः SC ने कहा, नहीं होगी SIT जांच

Edited By Seema Sharma,Updated: 19 Apr, 2018 01:38 PM

judge loya death case sc said will not be the sit probe

सुप्रीम कोर्ट ने आज सीबीआई की विशेष अदालत के जज रहे बी.एच. लोया की कथित रहस्यमयी मौत पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है. उनके बयान पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करना जैसा होगा। कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में...

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे सीबीआई के विशेष जज बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु की स्वतंत्र जांच कराने के लिए दायर याचिकाएं आज खारिज कर दीं। न्यायाधीश लोया की एक दिसंबर, 2014 को नागपुर में कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने की मृत्यु हो गई थी। लोया अपने सहयोगी की बेटी की शादी में नागपुर गये थे। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों और बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर न्यायपालिका को विवादित बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
PunjabKesari

लोया केस में कोर्ट ने कही ये बातें

  • लोया की मृत्यु की परिस्थितियों के संबंध में चार जजों के बयान पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। साथ ही रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों और उनकी जांच यह साबित करती है कि लोया की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है।’’
  • इन याचिकाओं से यह एकदम स्पष्ट है कि इसका असली मकसद न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला करने का प्रयास था।
  • राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के मकसद से इस तरह की ओछी और हित साधने वाली याचिकाएं दायर की जा रही हैं।
  • सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बी.एच. लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मृत्यु के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्त्ताओं और महाराष्ट्र सरकार के वकीलों के बीच तीखी तकरार हुई थी।
  • वरिष्ठ अधिवक्ताओं के इस तरह के आचरण को लेकर पीठ ने गहरी नाराजगी व्यक्त की थी।      
  • महाराष्ट्र सरकार की ओर से बार-बार यह दावा किया था कि स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिकाएं प्रायोजित हैं।  
  • राज्य सरकार ने कहा था कि याचिकाओं का मकसद इस एक व्यक्ति के खिलाफ मुद्दे को हवा देते रहना है।
  • राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि इस मामले में जांच का आदेश नहीं दिया जाए क्योंकि इससे न्यायाधीशों और न्यायपालिका के प्रति लोगों के मन में संदेह पैदा होगा।
  • इन याचिकाओं पर सुनवाई के राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि याचिका में किये गये अनुरोध पर कोई भी आदेश देते समय न्यायालय को बहुत सावधानी बरतनी होगी क्योंकि जांच के आदेश देने की स्थिति बंबई उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीशों और यहां तक कि प्रशासनिक समिति को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के अंतर्गत अपने बयान दर्ज कराने होंगे।
  • इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिए बंबई लायर्स एसोसिएशन, कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बी.एस. लोन ने शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की थीं।

 

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!