विवाद के बाद जस्टिस सीकरी ने ठुकराया मोदी सरकार का ऑफर

Edited By shukdev,Updated: 14 Jan, 2019 05:31 AM

justice sikri withdrew the consent given to nominate csat himself

जस्टिस ए के सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिए दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था। चीफ जस्टिस के बाद देश के दूसरे सबसे...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश अर्जन कुमार सीकरी ने कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल (सीसैट) का सदस्य नियुक्त किए जाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। न्यायमूर्ति सीकरी से जुड़े सूत्रों ने रविवार को बताया कि उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश ने लंदन स्थित सीसैट में अध्यक्ष/सदस्य के रूप में नामित करने के लिए सरकार को दी गई अपने नाम की मंजूरी वापस ले ली। ऐसा समझा जाता है कि सरकार ने गत वर्ष के अंत में न्यायमूर्ति सीकरी के नाम की अनुशंसा की थी, लेकिन केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा को हटाने से संबंधित एपिसोड के बाद उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाए जाने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया है।

PunjabKesariगौरतलब है कि न्यायमूर्ति सीकरी, वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाने से जुड़ी चयन समिति में शामिल थे, जिसने दो-एक के बहुमत से उन्हें (वर्मा को) पद से हटाने का फैसला किया था। इस फैसले के बाद मीडिया के कुछ हिस्सों में यह बात कही गई कि वर्मा के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़े होने की वजह से न्यायमूर्ति सीकरी को फायदा मिला है और सरकार ने उनके एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण का हिस्सा बनने के लिए सहमति दे दी है। 

PunjabKesariसूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति सीकरी इन खबरों से काफी परेशान हैं। उन्होंने विधि सचिव को एक पत्र में लिखा है कि वह हाल की कुछ घटनाओं से काफी दुखी हैं। उन्होंने लिखा है,‘मैंने दिसंबर में कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के लिए अपनी सहमति दे दी थी और उसके बाद से कोई सुनवाई नहीं की।‘उन्होंने लिखा है, ‘मुझे बताया गया कि इस काम में प्रशासनिक विवादों का निपटारा करना होता है और उसके लिए कोई नियमित वेतन नहीं है, लेकिन हाल में जिस तरह के विवाद को हवा दी गई और जो घटनाएं हुईं उन्होंने मुझे काफी दुखी कर दिया है। मैं इस ट्रिब्यूनल में जाने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेता हूं। कृपया इस प्रस्ताव को आगे न बढ़ाएं।’

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