भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, सख्ती के बाद बदले जस्टिन ट्रूडो के सुर

Edited By vasudha,Updated: 25 Jul, 2020 11:48 AM

justin trudeau voice changed after india strictness

कैनेडा से उठने वाली भारत विरोधी आवाज़ों को अब तक फ्रीडम आफ स्पीच बताता आई कैनेडा की सरकार ने बड़ा यू टर्न लेते हुए रेफरेंडम 2020 को मान्यता देने से साफ़ इंकार कर दिया है। कैनेडा सरकार ने इस मामले में सिख फार जस्टिस के प्रमुख गुरु पतवंत सिंह पन्नू...

नेशनल डेस्क (विशेष): कैनेडा से उठने वाली भारत विरोधी आवाज़ों को अब तक फ्रीडम आफ स्पीच बताता आई कैनेडा की सरकार ने बड़ा यू टर्न लेते हुए रेफरेंडम 2020 को मान्यता देने से साफ़ इंकार कर दिया है। कैनेडा सरकार ने इस मामले में सिख फार जस्टिस के प्रमुख गुरु पतवंत सिंह पन्नू द्वारा लिखी गयी चिट्ठी को भी नजर अंदाज कर दिया है। यह चिट्ठी पन्नू ने रेफरेंडम 2020 के लिए कैनेडा का समर्थन मांगने के लिए लिखी थी और इस मुहिम के लिए सबसे भारत विरोधी प्रचार भी कैनेडा में ही हो रहा था।

 

केनेडियन प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रुडो सरकार के इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। मोदी सरकार पिछले कई साल से कैनेडा की धरती से चलाई जा रही खालिस्तानियों की भारत विरोधी मुहिम को लेकर केनेडा सरकार के समक्ष उठा चुकी थी लेकिन कैनेडा की संसद में सिखों का प्रतिनिधित्व होने के कारण भारत की बात अनसुनी कर दी जाती थी लेकिन मोदी सरकार द्वारा कैनेडा के इस रवैये का उसी की भाषा में जवाब दिया तो बात कैनेडा की समझ में आ गई। इस की एक झलक जस्टिन ट्रुडो के पिछले कार्यकाल के दौरान भारत दौरे के दौरान देखने को मिली थी जब उनके दौरे को तव्वजो नहीं दी गई और केनेडा में विपक्ष ने उनके भारत दौरे को" सरकारी पैसे पर निजी छुट्टी" कह कर प्रचारित किया। 

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भारत की सख्ती से बदले कैनेडा के सुर 
इस के बाद जब जस्टिन ट्रुडो दुबारा केनेडा के प्रधानमंत्री बने तो भारत ने आधिकारिक स्तर की वार्ता में कैनेडा को दो टूक शब्दों में साफ़ कर दिया था कि खालिस्तान का मुद्दा दोनों देशों के आपसी रिश्ते पर असर डाल रहा है और भारत अब केनेडा इस मामले में थोड़ी बेहतर अपेक्षा रखता है। उस समय से ही कैनेडा के सुर बदलने शुरू हो गए थे और डिप्लोमेटिक स्तर की बात चीत में केनेडा लगातार भारत को इस मामले में आश्वासन दे रहा था लेकिन आधिकारिक तौर पर उसने खालिस्तानियों को लेकर पहली बार इतना बड़ा ब्यान जारी किया है। 

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इस बीच पिछले वर्ष दोनों देशों की जांच एजेंसियों के मध्य भी आपसी तालमेल बेहतर हुआ है और रॉयल केनेडियन माउंटिड पुलिस ने भारत की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के साथ मिल कर वार्ता भी की है। हाल ही में कैनेडा की सरकार ने केनेडा स्थित भारतीय दूतावास को आश्वस्त किया था कि कैनेडियन रेडियो पर भारत के खिलाफ चलाई जा रही रेफरेंडम 2020 मुहिम का केनेडा आधिकारिक तौर पर समर्थन नहीं करता। केनेडियन विदेश मंत्रालय ने कहा कि  कैनेडा भारत की स्वायत्ता, संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है लिहाजा कनाडा की सरकार किसी रेफरेंडम को मान्यता नहीं देगी। कैनेडा की सरकार के लिए भारत के साथ उसके द्विपक्षीय रिश्ते ज्यादा अहमियत रखते हैं। 

 

पन्नू, पाकिस्तान और चीन की मुहिम को झटका 
कैनेडा की सरकार के इस कदम से सिख फार जस्टिस के प्रमुख आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ साथ पाकिस्तान और चीन को भी तगड़ा झटका लगा है। दरअसल पन्नू की इस मुहिम को पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आई एस आई का खुला समर्थन है और ननकाना साहिब और पाक्सितान के अन्य सिख धार्मिक स्थलों पर पन्नू ने आई एस आई के साथ मिल कर रेफरेंडम 2020 के पोस्टर भी लगाए थे। इस बीच पन्नू द्वारा इस मामले में उन्हें चीन का समर्थन होने का दावा करने की खबरें भी चर्चा में रही हैं लेकिन अब केनेडा सरकार के इस कदम से पन्नू के साथ साथ आई एस आई साथ साथ चीन को भी तगड़ा झटका लगा है 

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 कैनेडा में मुट्ठी भर सिखों का समर्थन 
दरअसल  कैनेडा की सरकार को अब इस बात का एहसास हो गया है कि कैनेडा में बैठकर भारत विरोधी मुहिम चलाने वालों की संख्या महज मुट्ठी भर है और इन मुट्ठी भरा खालिस्तान समर्थकों के लिए वह भारत के साथ अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहता।  कैनेडा में बसने वाले लाखों सिख हर साल भारत यात्रा करते हैं और उनकी जड़ें जमीन से जुडी हैं और यह सिख भारत को तोड़ने की किसी भी साजिश का हिस्सा नहीं बनना चाहते। पिछले कुछ वर्षों के दौरान पढ़ाई करने कैनेडा गए भारत के सिख युवाओं का 1980 के दशक में केनेडा गए अलगाव वादी विचारधारा वाले सिखों की सोच के साथ कोई वास्ता नहीं है लिहाजा केनेडा के बहु संख्यक सिख पन्नू की  विचार धारा को सिरे से नकारते हैं क्योंकि उनका ध्यान अपना बेहतर भविष्य बनाने की तरफ है।
 

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