कनाडाई यूनिवर्सिटी का खास प्रौजेक्ट: फिर जिंदा होंगी कनिष्क कांड की यादें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 03:10 PM

kanishka tragedy first ever project in canada to document memorialise

2010 की गर्मियों में, कनाडाई प्रधान मंत्री स्टीफन हार्पर ने, एयर इंडिया फ्लाइट 182 "कनिष्क" त्रासदी की 25 वीं वर्षगांठ पर इसके लिए कनाडा सरकार की असफलताओं के लिए माफी मांगी थी ..

टोरंटोः 2010 की गर्मियों में, कनाडाई प्रधान मंत्री स्टीफन हार्पर ने, एयर इंडिया फ्लाइट 182 "कनिष्क" त्रासदी की 25 वीं वर्षगांठ पर इसके लिए कनाडा सरकार की असफलताओं के लिए माफी मांगी थी । लेकिन अब कनिष्क कांड से जुड़ी जानकारी व इस हादसे के लिए जिम्मेदार कनाडा सरकार का कबूलनामा कनाडाई सरकार की वेबसाइट पर अनुपलब्ध है। अगर इससे संबंधित दस्तावेज वेबसाइट पर हैं भी तो उन्हें ढूंढना मुश्किल हो गया है।  

इस साल नई परियोजनाओं  के तहत हैमिल्टन, ओन्टारियो में मैकमास्टर यूनिवर्सिटी द्वारा त्रासदी के दस्तावेजों जिसमें कनाडा सरकार का माफीनामा भी शामिल है, को दोबारा लॉन्च किया जाएगा। मैकमास्टर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी और सांस्कृतिक की सहायक प्रोफेसर चंद्रिमा चक्रवर्ती द्वारा इन परियोजनाओं का नेतृत्व किया जा रहा है, जिनका मुख्य उद्देश्य कनिष्क कांड को "एक बड़ी त्रासदी के रूप में हमेशा लोगों के जहन में जिंदा रखना है।
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चक्रवर्ती युवा कनाडाई लोगों, जो इस आतंकवादी हमले के बारे में अनभिज्ञ हैं, से अवगत करवाना चाहती हैं । इस परियोजना के तहत त्रासदी के स्मारक के लिए एक वेबसाइट लॉन्च करने के अलावा विश्वविद्यालय पुस्तकालय में त्रासदी से जुड़ी भौतिक और डिजिटल कलाकृतियों को शामिल करने की योजना ह, जो देश में अपनी तरह का पहला प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ यह त्रासदी ही नहीं बल्कि दुनिया भर में होने वाले आतंकी हमले व बम विस्फोट एक बहस का विषय हैं और प्रभावित लोगों व पीड़ित परिवारों के दर्द को  लोगों तक पहुंचने का प्रयास है । 

क्या है कनिष्क कांड
उल्लेखनीय है कि 23 जून 1985 को मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली-मुंबई मार्ग के बीच परिचालित होने वाले एयर इंडिया के  विमान कनिष्क बोइंग 747-237B (c/n 21473/330, reg VT-EFO)  को  आयरिश हवाई क्षेत्र में उड़ते समय, 31,000  फुट (9,400 मी॰) की ऊंचाई पर बम से उड़ा दिया गया था। इस हादसे में 329 लोगों की मृत्यु हो गई थी। मृतकों में अधिकांश भारत में जन्मे या भारतीय मूल के 280 कनाडाई नागरिक और 22 भारतीय शामिल थे। यह घटना आधुनिक कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ी सामूहिक हत्या थी। जांच और अभियोजन में लगभग 20 वर्ष लगे और यह कनाडा के इतिहास में, लगभग CAD $130 मिलियन की लागत के साथ, सबसे महंगा परीक्षण था।

एक विशेष आयोग ने प्रतिवादियों को दोषी नहीं पाया और उन्हें छोड़ दिया गया। 2003 में मानव-हत्या की अपराध स्वीकृति के बाद, केवल एक व्यक्ति को बम विस्फोट में लिप्त होने का दोषी पाया गया। परिषद के गवर्नर जनरल ने 2006 में भूतपूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जॉन मेजर को जांच आयोग के संचालन के लिए नियुक्त किया और उनकी रिपोर्ट 17 जून 2010 को पूरी हुई और जारी की गई। यह पाया गया कि कनाडा सरकार, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और कैनेडियन सेक्युरिटी इंटलिजेन्स सर्विस द्वारा "त्रुटियों की क्रमिक श्रृंखला" की वजह से आतंकवादी हमले को मौक़ा मिला। 

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